वाटिकन सिटीः प्रभु प्रकाश महापर्व पर सन्त पापा फ्राँसिस ने समझाया एपीफनी का अर्थ
वाटिकन सिटी, 06 जनवरी सन् 2014 (सेदोक): 25 दिसम्बर को प्रभु ख्रीस्त की जयन्ती मना
लेने के 12 दिन बाद ख्रीस्तीय धर्मानुयायी छः जनवरी को ऐपिफनी, तीन राजाओं का महापर्व
अथवा प्रभु प्रकाश का महापर्व मनाते हैं। वस्तुतः ऐपिफनी का अर्थ है किसी चीज़ को दर्शनीय
बनाना, किसी को प्रकाशित करना या किसी के विषय में लोगों को ज्ञान कराना।
यह
महापर्व सुदूर पूर्व से, तारे के इशारे पर बेथलेहेम पहुँचे तीन विद्धानों द्वारा शिशु
येसु के दर्शन के स्मरणार्थ मनाया जाता है। प्रभु प्रकाश महापर्व विश्व के समक्ष प्रभु
येसु ख्रीस्त की प्रकाशना का महापर्व है। बेथलेहेम में जन्में शिशु येसु के दर्शन हेतु
पहुँचे तीन विद्धानों की भेंट तथा ग़ैरविश्वासियों के बीच इसराएल के मसीहा की प्रकाशना
का महापर्व है।
प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया
के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग
अर्पित किया तथा बाद में महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया। इन अवसरों पर किये उनके प्रवचनों के कतिपय अंशों को ही आज हम
श्रोताओं की सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं। ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने प्रभु
प्रकाश अर्थात विश्व के समक्ष प्रभु के प्रकटीकरण के रहस्य पर प्रकाश डाला, उन्होंने
कहाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
"लूमेन रेक्वीरुन्त लूमीने", पूजन पद्धति
के प्राचीन गीत की यह अर्थगर्भित अभिव्यक्ति, येसु के दर्शन को पहुँचे तीन राजा या तीन
विद्धानों के अनुभव का सन्दर्भ देती हैः प्रकाश का पीछा करते हुए वे प्रकाश की तलाश में
निकले थे। आकाश में उभरा सितारा उनके मनोमस्तिष्क एवं उनके हृदयों में एक ज्योति को प्रज्वलित
करता है जिससे वे ख्रीस्त की महान ज्योति की खोज में निकल पड़ते हैं। तीन विद्धान निष्ठापूर्वक
उस प्रकाश का पीछा करते हैं जो उनके अन्तरतम में व्याप्त था और प्रभु का साक्षात्कार
करते हैं।"
सन्त पापा ने कहा कि तीन राजाओं की यह यात्रा प्रत्येक मनुष्य
के भाग्य का प्रतीक हैः हमारा जीवन आगे चलते रहना है, सड़क की रोशनी द्वारा प्रबुद्ध
हम सत्य एवं प्रेम की परिपूर्णता की खोज में लगे रहते हैं, जो हम ख्रीस्तानुयायियों के
लिये, विश्व की ज्योति यानि प्रभु येसु में मिलती है। तीन विद्धानों के समान ही प्रत्येक
व्यक्ति को वे दो पुस्तकें उपलब्ध हैं जो हमें अपनी तीर्थयात्रा में मार्गदर्शन देती
है, और ये हैं: उत्पत्ति ग्रन्थ तथा पवित्र पाठों का ग्रन्थ। महत्वपूर्ण है कि हम सावधान
रहें तथा ईश्वर को सुनें जो हमसे बोलते हैं। प्रभु के नियम के सन्दर्भ में स्तोत्र ग्रन्थ
का भजन कहता हैः "प्रभु तेरे शब्द मेरे पैरों का चिराग हैं, मेरे पथ की ज्योति हैं।"
उन्होंने कहा कि विशेषतः, सुसमाचार को सुनना, पढ़ना तथा उसपर चिन्तन करना और उसे अपने
आध्यात्मिक पोषण का स्रोत बनाना हमें जीवन्त येसु के साथ साक्षात्कार करने, उनका तथा
उनके प्रेम अनुभव पाने में सक्षम बनाता है।"
प्रभु प्रकाश महापर्व के लिये
निर्धारित पहले पाठ को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा, "पहले पाठ में नबी इसायाह के मुख
से जैरुसालेम से की गई प्रभु ईश्वर की अपील को हम सुनते हैं, "जैरूसालेम, उठ कर प्रकाशमान
हो जा!" सन्त पापा ने कहा कि जैरूसालेम प्रकाश का शहर बनने के लिये बुलाया गया है ताकि
वह ईश्वर की ज्योति को विश्व पर प्रज्वलित कर सके तथा मनुष्यों को उनकी जीवन यात्रा में
चलने हेतु मार्गदर्शन दे सके। यही है विश्व में ईश प्रजा का मिशन।
सुसमाचारों
को उद्धृत कर सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि जैरूसालेम आते-आते तीन राजाओं की आँखों से
कुछ समय के लिये तारे की रोशनी ग़ायब हो गई थी। विशेष रूप से हेरोद के महल में यह प्रकाश
बिलकुल ग़ायब था, वहाँ अन्धकार ही अन्धकार था, आशंका और भय व्याप्त था। वास्तव में, हेरोद
आशंकाओं से भरा था, वह एक नन्हें से शिशु के जन्म से भयभीत था और उसे अपना प्रतिस्पर्धी
मान रहा था। सच तो यह है कि येसु हेरोद को मारने के लिये नहीं आये थे बल्कि संसार के
अन्धकार पर विजय पाने आये थे। हालांकि हेरोद एवं उसके सैनिक अपनी सत्ता को डाँवाडोल होते
देख नन्हें बच्चों को मारने के लिये तैयार गये थे। सन्त कोदवुलदेउस लिखते हैं: "वह बच्चों
के शरीर पर हार करता है तथा उन्हें मार डालता है क्योंकि भय उसके हृदय को मार डालता है।"
सन्त पापा ने कहाः ......"तीन राजाओं ने हेरोद के अन्धकारपूर्ण क्षण के ख़तरे
को जान लिया था क्योंकि उन्होंने धर्मग्रन्थ में विश्वास किया था, उन्होंने नबियों की
वाणी में विश्वास किया था जिन्होंने बेथलेहेम में मसीहा के जन्म की भविष्यवाणी की थी।
इसलिये वे रात कहीं छिपे रहे जिसके बाद तारा फिर प्रकट हुआ जिसने बेथलेहेम का रास्ता
दिखाया। सन्त मत्ती लिखते हैं: "वे तारा देख कर बहुंत आनन्दित हुए।"
अन्त में
सन्त पापा ने कहाः "एपीफनी महापर्व पर जिसमें हम मानवजाति के समक्ष प्रकट एक बालक के
मुखमण्डल का दर्शन करते हैं, हम अपने आप को तीन राजाओं के साथ पाते हैं जो तीन ज्ञानियों
के सदृश हमारा पथप्रदर्शित करते हैं। उनका उदाहरण हमें तारे को देखने तथा अपने हृदय में
समाहित मनोकामनाओं को पूरा करने के लिये उसके अनुसरण की प्रेरणा देता है। यह हमें एक
साधारण जीवन या किनारे पर रहने से सन्तुष्ट न होने की प्रेरणा देता है ताकि हम उसकी खोज
करें जो भला है, सुन्दर है, सत्य है अर्थात् अनवरत ईश्वर की खोज करते रहें। उसके धोखे
में हम न रहें जो सांसारिक मायनों में महान है, ज्ञानी है, सत्ताधारी है अपितु उसके परे
बेथलेहेम की ओर जायें जहाँ एक छोटे से, साधारण से घर में, विश्वास और आशा से परिपूर्ण
माता एवं पिता के संरक्षण में, एक शिशु स्वर्ग से आनेवाले सूर्य को प्रकाशमान कर रहा
है, तीन राजाओं के पदचिन्हों पर चल अपने छोटे-छोटे चिरागों के साथ हम प्रकाश की खोज करें।"