अमरीका के सन्त जॉन नोएमन का जन्म बोहेमिया में,
सन् 1811 ई. में, हुआ था। सन् 1835 ई. में, अपनी पढ़ाई के बाद, उन्होंने पुरोहित अभिषिक्त
होने की इच्छा व्यक्त की थी किन्तु बोहेमिया में पुरोहितों की अति के कारण बोहेमिया के
तत्कालीन धर्माध्यक्ष ने पुरोहिताभिषेकों पर रोक लगा दी थी। एक साल बाद यानि सन् 1836
ई. में जॉन नोएमन अमरीका चले गये जहाँ पर न्यू यॉर्क के धर्माध्यक्ष जॉन दुबोई ने उन्हें
पुरोहित अभिषिक्त कर दिया। इसके 16 वर्षों बाद तक जॉन नोएमन अपने धर्मप्रान्त के लिये
सेवारत रहे। तदोपरान्त, उन्होंने मुक्तिदाता प्रभु येसु को समर्पित, रिडेम्ट्रिस्ट धर्मसमाज
में प्रवेश कर लिया तथा कुछ ही समय में एक महान उपदेशक, पापमोचक एवं आप्रवासियों के मित्र
और सहायक रूप में विख्यात हो गये।
लोगों के साथ नज़दीकी बनाये रखने के लिये जॉन
नोएमन ने कई भाषाएँ सीखी जिनमें जर्मन, अँग्रेज़ी, स्पानी, डच, इताली तथा आयरलैण्ड की
गेलिक भाषा शामिल थीं। न्यूयॉर्क, ओहाइयो, मेरीलैण्ड तथा पेनसिलवानिया में उन्होंने कई
स्कूलों की स्थापना की तथा काथलिक शिक्षा का स्तर ऊँचा किया। सन् 1852 ई. में, वे, फिलाडेलफिया
के चौथे धर्माध्यक्ष अभिषिक्त कर दिये गये थे। आठ वर्षों तक धर्माध्यक्षीय प्रेरिताई
का निर्वाह करने के बाद फिलाडेलफिया में ही, 05 जनवरी सन् 1860 ई. में, 48 वर्षीय रिडेम्ट्रिस्ट
धर्मसमाजी, धर्माध्यक्ष जॉन नोएमन का निधन हो गया था। उन्हें अमरीका में काथलिक शिक्षा
निकाय के संस्थापक माना जाता है। सन्त जॉन नोएमन का पर्व 05 जनवरी को मनाया जाता है।
चिन्तनः सन्त जॉन नोएमन काथलिक स्कूलों की रक्षा करें ताकि वे ख्रीस्तीय मूल्यों
के आदर्श सिद्ध हों।