2013-12-26 12:35:46

प्रेरक मोतीः सन्त स्टीवन (शहादत 34-35 ई.)


वाटिकन सिटी, 26 दिसम्बर सन् 2013:

स्टीवन नाम का अर्थ है "मुकुट"। स्टीवन प्रभु येसु मसीह के उन प्रथम शिष्यों में से एक थे जिन्होंने कलीसिया के आरम्भिक काल में शहादत का मुकुट प्राप्त किया था। बाईबिल इतिहासकारों के अनुसार, स्टीवन को प्रभु येसु ख्रीस्त के क्रूसीकरण और पुनःरुत्थान के कुछ ही समय बाद, लगभग सन् 34-35 ई. में, शहादत प्राप्त हुई। येसु के प्रथम प्रेरितों को लगा कि उन्हें विधवाओं और निर्धनों की रक्षा के लिये मदद की ज़रूरत है, अस्तु, उन्होंने सात उपयाजकों को अभिषिक्त कर दिया। स्टीवन इन्हीं में से एक थे जो ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर जीवन बलिदान अर्पित करनेवाले प्रथम शहीद बने।

स्टीवन को उपदेश देने का विशेष वरदान प्राप्त था और ईश्वर ने उनके द्वारा कई चंगाई चमत्कारों का सम्पादन किया था। उनके चमत्कारों के कारण विशाल जनसमूह उनके प्रवचनों को सुनने के लिये एकत्र हो जाया करता था जो ख्रीस्त के विरोधियों के लिये ईर्ष्या का कारण बना और उन्होंने उनको मार डालने का षड़यंत्र रच डाला। झूठे गवाहों को प्रस्तुत कर उन्होंने स्टीवन को झूठा प्रमाणित करने की कोशिश की किन्तु जब वे अपनी कुयोजना में सफल नहीं हो पाये तो उन्होंने स्टीवन को जैरूसालेम के बाहर ले जाकर उनपर पत्थर प्रहार किया तथा उन्हें मार डाला। मरते वक्त उन्होंने अपने आततायियों के लिये ईश्वर से प्रार्थना की तथा "प्रभु येसु मेरी आत्मा को ग्रहण कीजिये" शब्दों से अपने प्राण त्याग दिये। आरम्भिक कलीसिया के उपयाजक स्टीवन की कहानी हमें बाईबिल धर्मग्रन्थ को नवीन व्यवस्थान के प्रेरित चरित ग्रन्थ में मिलती है। शहीद सन्त स्टीवन का पर्व 26 दिसम्बर को मनाया जाता है।



चिन्तनः "वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का फल देगा। जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा, सम्मान और अमरत्व की खोज में लगे रहते हैं, ईश्वर उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करेगा" (रोमियो 2:6-7)।








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