वाटिकन सिटीः रोम तथा विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का क्रिसमस सन्देश
वाटिकन सिटी, 25 दिसम्बर सन् 2013(सेदोक): वाटिकन रेडियो के सभी श्रोताओ के प्रति ख्रीस्तजयन्ती
महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं अर्पित करते हुए आज के प्रसारण में हम प्रस्तुत कर रहे
हैं, ख्रीस्तजयन्ती के उपलक्ष्य में, रोम शहर एवं विश्व के नाम, काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष,
सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश। "सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा तथा पृथ्वी
पर उसके कृपापात्रों को शांति मिले!" सन्त लूकस रचित सुसमाचार के दूसरे अध्याय के 14
वें पद की उक्त पंक्ति का उच्चार कर सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर एवं विश्व के नाम
अपना क्रिसमस सन्देश आरम्भ किया। उन्होंने कहाः "रोम तथा समस्त विश्व के अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, क्रिसमस मुबारक! मैं स्वर्गदूतों के गीत पर चिन्तन करना चाहता हूँ
जो येसु के जन्म की रात्रि बेथलेहेम में चरवाहों को दिखाई दिये थे। स्वर्ग की प्रशस्ति
एवं महिमा तथा पृथ्वी एवं उस पर निवास करनेवालों को शांति प्रदान करनेवाला यह एक ऐसा
गीत है जो स्वर्ग एवं पृथ्वी को एक दूसरे से जोड़ता है। सभी को मैं इस गीत के साथ
एक होने के लिये आमंत्रित करता हूँ: यह उस प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष का गीत
है जो रात भर जागता रहता है, जो एक बेहतर विश्व की कामना करता है, जो विनम्रतापूर्वक
अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हुए अन्यों के प्रति व्यग्र रहा करता है। प्रभु
ईश्वर की महिमा! सबकुछ से पहले इसी के लिये ख्रीस्तजयन्ती महापर्व हमें आमंत्रित करता
हैः ईश्वर की महिमा करना क्योंकि वे भले हैं, वे विश्वसनीय है, वे दयालु हैं। आज मैं
अपनी इस आशा को आवाज़ देता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर के सही चेहरे को जान सके, उन
पिता ईश्वर के जिन्होंने हमें येसु का वरदान दिया है। मेरी आशा है कि सभी लोग ईश्वर के
सामीप्य का अनुभव करें, उनकी उपस्थिति में जियें, उनसे प्रेम करें तथा उनकी आराधना करें।
मेरी मंगलकामना है कि हममें से प्रत्येक जन ईश्वर की महिमा का बखान करे, विशेष रूप
से, अपने जीवन द्वारा, ईश्वर के प्रति एवं हमारे भाइयों एवं बहनों के प्रति प्रेम में
व्यतीत जीवन द्वारा।" सन्त पापा ने आगे कहाः "मानवजाति को शांति! सच्ची शांति
विरोधी शक्तियों के बीच सन्तुलन नहीं है। वह कोई सुन्दर मुखौटा नहीं है जो संघर्षों एवं
विभाजनों को छिपा ले। शांति, ईश्वर के वरदान से शुरु होकर, येसु ख्रीस्त में हमें ईश्वर
से मिली कृपा से लेकर, दैनिक समर्पण की मांग करती है। चरनी में पड़े शिशु को निहारते
हुए, हमारे विचार उन बच्चों के प्रति अभिमुख होते हैं जो युद्ध के अति कमज़ोर शिकार हैं,
किन्तु साथ ही हम वयोवृद्धों, दुर्व्यवहार की शिकार महिलाओं एवं रोगियों के बारे में
भी सोचते हैं..........युद्ध कितने अधिक लोगों के जीवन को तहस-नहस कर उनका विनाश कर देता
है!" सिरिया में युद्ध से पीड़ित लोगों का स्मरण कर सन्त पापा ने आगे कहाः "सिरियाई
संघर्ष के कारण, हाल के समय में बहुत अधिक लोगों का जीवन तहस-नहस हुआ है इसने घृणा एवं
प्रतिशोध को भड़काया है। प्रभु से हम आर्त याचना करें कि वे सिरिया की प्रिय जनता को
और अधिक उत्पीड़न से बचायें, संघर्षरत दलों को सब प्रकार की हिंसा समाप्त करने में सक्षम
बनाये तथा पीड़ितों को लोकोपकारी राहत सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिलवायें। हमने
देखा है कि प्रार्थना कितनी शक्तिशाली है! और आज भी मैं प्रसन्न हूँ कि विभिन्न धर्मों
के अनुयायी सिरिया में शांति हेतु प्रार्थना में हमारे साथ एकप्राण हैं। प्रार्थना करने
का साहस हम कभी न छोड़े! यह बोलने का साहस न गँवायेः "प्रभु! सिरिया तथा सम्पूर्ण विश्व
को आप अपनी शांति प्रदान करें।" इसी प्रकार अफ्रीका के देशों में शांति हेतु प्रार्थना
करते हुए सन्त पापा ने कहाः "प्रायः भुलाये दिये गये एवं उपेक्षित केन्द्रीय अफ्रीका
को प्रभु शांति प्रदान करें। तथापि, प्रभु, आप किसी को नहीं भूलते! और उस धरती पर भी
आप शांति लाना चाहते हैं जो हिंसा एवं निर्धनता के चक्रव्यूह से घिरी है, जहाँ बहुत से
लोग बेघर हैं, पानी, भोजन एवं जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं के अभाव में जी रहे हैं। दक्षिणी
सूडान को शांति प्रदान करें, जहाँ सामयिक तनावों ने बहुत से लोगों को अपना शिकार बनाया
है तथा उस युवा देश में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को ख़तरा पहुँचाया है। शांति के राजकुमार,
हर जगह हिंसकों का मनपरिवर्तन कर ताकि शस्त्रों के परित्याग की उन्हें प्रेरणा मिले तथा
वे वार्ताओं का मार्ग अपनायें। नाईजिरिया पर अपनी दृष्टि डाल, यहाँ जारी अनवरत आक्रमण
निर्दोष एवं सुरक्षा विहीन लोगों को भी नहीं छोड़ते।" फिर मध्यपूर्व के लिये प्रभु
से याचना करते हुए सन्त पापा ने कहाः "उस धरती को आशीष दे जिसे तूने अपने जन्म के लिये
चुना तथा ऐसा कर कि इसराएलियों एवं फिलिस्तीनियों के मध्य शांति वार्ताओं का अनुकूल परिणाम
निकले। हमारे परमप्रिय देश ईराक के घावों का उपचार कर जो एक बार फिर प्रायिक हिंसक कृत्यों
का प्रहार झेल रहा है। जीवन के स्वामी, तेरे नाम के कारण अत्याचार सह रहे समस्त लोगों
की रक्षा कर। विस्थापित एवं शरणार्थी बने लोगों को आशा एवं सान्तवना प्रदान कर, विशेष
रूप से, हॉर्न ऑफ अफ्रीका तथा कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी क्षेत्र में। उन्होंने
आगे कहाः प्रभु! ऐसा कर कि प्रतिष्ठापूर्ण जीवन की तलाश में निकले आप्रवासी आतिथेय एवं
साहयता प्राप्त करें। वैसी त्रासदी जो इस वर्ष हमने लामपेदूसा में इतने अधिक लोगों की
मौतों के साथ देखी फिर कभी न हो। बेथलेहेम के शिशु, उन सब लोगों के हृदयों का तू
स्पर्श कर जो मानव तस्करी में लगे हैं ताकि वे मानवजाति के विरुद्ध इस अपराध की गम्भीरता
को पहचानें। उन अनेक बच्चों पर दृष्टि डाल जो अपहरण के शिकार हैं, सशस्त्र संघर्षों के
कारण घायल हैं, मारे गये हैं तथा उन बच्चों पर भी जिनसे उनका बचपन ही छीन लिया गया है
तथा जिन्हें सैनिक बनने के लिये बाध्य किया गया है। स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी,
हमारे इस ग्रह पर दृष्टि डाल जिसका प्रायः मानवीय लोभ एवं लालच के कारण अन्धाधुन्ध शोषण
होता रहता है। प्राकृतिक आपदाओं के शिकार समस्त लोगों को सहायता एवं सुरक्षा मिले, विशेषतः,
फिलीपिन्स के लोगों को जो हाल के तूफान से गम्भीर रूप से प्रभावित हुए हैं। प्रिय
भाइयो एवं बहनो, आज इस विश्व में, इस मानवजाति के बीच, मुक्तिदाता का जन्म हुआ है जो
प्रभु ख्रीस्त हैं। बेथलेहेम के शिशु के आगे हम तनिक रुकें। अपने हृदयों का हम स्पर्श
करने दें, ईश्वर की स्नेहशीलता की गर्मी को हम महसूस करें; हमें उनके स्नेह की आवश्यकता
है। ईश्वर प्रेम से परिपूर्ण हैं: उन्हीं को सदा सर्वदा प्रशंसा एवं महिमा! ईश्वर शांति
हैं: हम सब उनसे याचना करें ताकि हर दिन, अपने जीवन में, अपने परिवार में, अपने शहरों
एवं देशों में तथा सम्पूर्ण विश्व में शांति निर्माता बनने हेतु वे हमारी मदद करें।
अपने आप को हम ईश्वर की भलाई द्वारा प्रेरित होने दें।" इन शब्दों से रोम शहर एवं
विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश समाप्त कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सबको अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया। ख्रीस्तजयन्ती की मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा........."विश्व
के प्रत्येक क्षेत्र से इस पियात्सा पर एकत्र तथा विभिन्न देशों में सम्प्रेषण एवं संचार
माध्यम द्वारा हमसे जुड़े आप सबको, प्रिय भाइयो एवं बहनो, मैं ख्रीस्तजयन्ती महापर्व
की हार्दिक बधाइयाँ देता हूँ! बेथलेहेम की विनीत गऊशाला से प्रस्फुटित सुसमाचारी आशा
द्वारा प्रज्वलित इस दिन पर मैं सब पर हर्ष एवं शान्ति के क्रिसमस वरदान की मंगलयाचना
करता हूँ: बच्चों पर, वयोवृद्धों पर, युवाओं एवं परिवारों पर, निर्धनों एवं हाशिये पर
जीवन यापन करनेवालों पर। हमारे ख़ातिर जन्म लेनेवाले प्रभु येसु रोग एवं पीड़ा से उत्पीड़ित
लोगों को सान्तवना प्रदान करें तथा ज़रूरतमन्द भाइयों एवं बहनों की सेवा को समर्पित सभी
लोगों को समर्थन दें। क्रिसमस मुबारक हो!"