मिस्र के शहीद सन्त शेरेमोन, नीलोपोलीस के
धर्माध्यक्ष थे। जब मिस्र के ख्रीस्तीयों पर सम्राट त्रायानुस देचियुस ने दमन चक्र चलाया
तब उन्होंने मुक्त रूप से सम्राट की आलोचना की तथा ढलती उम्र के बावजूद अपने विश्वास
का महान साक्ष्य प्रस्तुत किया। जब सम्राट के अत्याचार सब सीमाओं को पार कर चले थे तब
ख्रीस्तीय विश्वास की लौ को मिस्र तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रज्वलित रखने
के लिये धर्माध्यक्ष शेरेमोन अपने अनुयायियों के साथ अरबी उजाड़ प्रदेशों में पलायन कर
गये थे। यहाँ भूख और प्यास के अलावा ये ख्रीस्तीय विश्वासी खूँखार जंगली जानवरों का भी
शिकार बने। रोमी शहादतनामे में धर्माध्यक्ष शेरेमोन तथा उनके सभी साथियों को शहीदों की
सूची में रखा गया है जिनका स्मृति दिवस 23 दिसम्बर को मनाया जाता है।
चिन्तनः
"वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का फल देगा। जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा,
सम्मान और अमरत्व की खोज में लगे रहते हैं, ईश्वर उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करेगा" (रोमियो
2:6-7)।