नई दिल्लीः समलैंगिकता के विरुद्ध धार्मिक नेताओं की चेतावनी
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर सन् 2013 (ऊका समाचार): समलैंगिकता के विरुद्ध राजनैतिक पार्टियों
को चेतावनी देते हुए भारत के धार्मिक नेताओं ने कहा है उन्हें कोई ऐसे कदम नहीं उठाने
चाहिये जिनसे भारतीय संस्कृति एवं समाज पर ख़तरा उत्पन्न हो। आईएएनएस का हवाला देते
हुए ऊका समाचार ने प्रकाशित किया कि नई दिल्ली में, विगत सप्ताहान्त वरिष्ठ हिन्दु, मुसलमान,
सिक्ख एवं ख्रीस्तीय नेताओं ने एक सम्मेलन में भारत की राजनैतिक पार्टियों का आह्वान
किया कि वे समलिंगकामी सम्बन्धों के पक्ष में कोई फैसला न लें क्योंकि इससे न केवल मानवीय
प्रजनन प्रक्रिया अवरुद्ध होती है बल्कि यह पारिवारिक प्रणाली एवं सामाजिक रिश्तों को
भी नष्ट कर देता है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन
ऊमारी ने कहा, "स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आड़ में "पश्चिमी संस्कृति
के प्रेमी" समलैंगिकता को निरअपराधिक घोषित करना चाहते हैं, यह उचित नहीं है।" देहली
काथलिक महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर दोमिनिक एम्मानुएल ने सचेत कराया कि समलैंगिकता
को प्रोत्साहन देने से एचआईवी एवं एड्स के प्रसार को प्रश्रय मिलेगा। उन्होंने कहा, "चिकित्सीय
शोध से पता चलता है कि समलैंगिक सेक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा तथा एचआईवी एवं
एड्स के प्रसार का एक बुनियादी कारण है।" समलैंगिकता को अपराध घोषित करनेवाले दिल्ली
उच्च न्यायालय के फैसले को उलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसम्बर को, भारतीय दंड संहिता
की धारा 377 को बरकरार रखा था जिसके तहत समलैंगिकता अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था
कि समलैंगिक संबंधों को उम्रकैद तक की सजा वाला अपराध बताने वाली आईपीसी की धारा 377
में कोई संवैधानिक खामी नहीं है। कोर्ट ने हालांकि इस विवादास्पद मुद्दे पर निर्णय भारतीय
संसद पर छोड़ दिया है। केन्द्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 11 दिसम्बर वाले फैसले
पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बहाल करने
के लिए सभी विकल्पों पर वह विचार कर रही है। गुरुद्वारा बंगला साहिब के मुख्य पुजारी
रणजीत सिंह ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार एवं सभी राजनैतिक पार्टियाँ सुप्रीम कोर्ट
के फैसले को स्वीकार करे। हम उन संशोधनों को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे जिनमें धार्मिक
शिक्षाओं, पूर्वी देशों की संस्कृति तथा भारी संख्या में लोगों की राय को अनदेखा किया
जा रहा हो।" इस बीच हिन्दू नेता ओमकार धाम आश्रम के ओंकार आनंद का कहना था कि जल्दी
शादी लोगों को भटकने से रोक सकती है।