2013-12-20 11:14:17

प्रेरक मोतीः सिलोस के सन्त दोमिनिक (1000-1073)


वाटिकन सिटी, 20 दिसम्बर सन् 2013:

सिलोस के सन्त दोमिनिक, बेनेडिक्टीन धर्मसमाजी भिक्षु थे जिनका जन्म लगभग 1000 ई. में स्पेन के नवार्रे प्रान्त के कानास गाँव में हुआ था। सान मिलान दे ला कोगोल्ला में बेनेडिक्टीन धर्मसमाज में प्रवेश से पूर्व वे चरवाहे का काम किया करते थे। धर्मसमाज में प्रवेश के कुछ ही वर्षों बाद वे नवदीक्षार्थियों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक और उसके तुरन्त बाद लघु गुरुकुल के अध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये। धर्मसमाज की अचल सम्पत्ति नवार्रे प्रान्त में दूर दूर तक फैली थी जिसे तत्कालीन स्पानी राजा नवार्रे के गार्शिया तृतीय ने चुनौती दी। जब दोमिनिक धर्मसमाज के मठाध्यक्ष नियुक्त किये गये तब राजा ने उनसे धर्मसमाज का विशाल भूभाग राज्य के सिपुर्द करने का आग्रह किया जिससे दोमिनिक ने इनकार कर दिया। इसी के चलते राजा गार्शिया ने बेनेडिक्टीन धर्मसमाजी भिक्षुओं का उत्पीड़न आरम्भ कर दिया। दोमिनिक तथा उनके साथी भिक्षुओं को नवार्रे से निकाल दिया गया तथा धर्मसमाज की सम्पत्ति राजा ने अपने अधीन कर ली।

उत्पीड़न के इस कठिन समय में कास्तिल्ले और लियों के राजा फेरडीनान्द प्रथम ने दोमिनिक तथा धर्मसमाजी भिक्षुओं को सिलोस नगर स्थित सन्त सबास्तियान को समर्पित जर्जर अवस्था में पड़े पुराने मठ में शरण प्रदान की। दोमिनिक ने इस मठ का जीर्णोद्धार किया तथा यहाँ रोमी शैली में कई मठों एवं धर्मसंघी आश्रमों की स्थापना की इसीलिये उनका नाम सिलोस के सन्त दोमिनीक पड़ गया। दोमिनीक के नेतृत्व में कुछ ही वर्षों में सिलोस पुस्तकों के मुद्रण और डिज़ाईन, सोने और चाँदी के काम, हस्तकला तथा शिल्पकला का प्रमुख केन्द्र बन गया। शिक्षा का भी वह महत्वपूर्ण गढ़ सिद्ध हुआ।

सिलोस में मठों के भौतिक एवं आध्यात्मिक जीर्णोद्धार तथा निर्माण के अतिरिक्त दोमिनिक ने मानवोत्थान के लिये कई कल्याणकारी योजनाएँ शुरु की। उनका विशेष मिशन था बन्धक बनाये गये ख्रीस्तीय गुलामों को मूरों की दासता से मुक्ति दिलाना। सिलोस के सन्त दोमिनीक चंगाई के लिये भी विख्यात हो गये थे। 20 दिसम्बर, सन् 1073 ई. को, सिलोस में ही, बेनेडिक्टीन मठाध्यक्ष दोमिनीक का निधन हो गया था। सिलोस के सन्त दोमिनीक का पर्व, 20 दिसम्बर को, मनाया जाता है। वे चरवाहों, बन्धक बनाये और अपहृत लोगों तथा क़ैदियों के संरक्षक सन्त हैं।

चिन्तनः "वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का फल देगा। जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा, सम्मान और अमरत्व की खोज में लगे रहते हैं, ईश्वर उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करेगा" (रोमियो 2:6-7)।








All the contents on this site are copyrighted ©.