2013-12-16 14:03:50

येसु से मुलाक़ात है, ख्रीस्त जयन्ती का त्योहार



वाटिकन सिटी, सोमवार 16 दिसंबर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्रांसिस ने कहा, "खीस्त जयन्ती - येसु से मानव की मुलाक़ात है. यह ईश्वर का उसकी प्रजा के साथ भेंट है। यह एक सांत्वना है, यह सांत्वना का रहस्य है। यह हमें आशा और दयालुता के बारे में बतलाती है।"

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने इतालवी दैनिक ‘ला स्ताम्पा’ को ख्रीस्तमस के अर्थ के बारे में एक साक्षात्कार दिया।

संत पापा ने कहा, "ख्रीस्त जयन्ती का समय निकट आ गया है जिसे पूरी सादगी के साथ मनाया जाना चाहिये। यह ख्रीस्तीयों के लिये एक आमंत्रण है - उदासीन ख्रीस्तीय बने रहने के लिये नहीं, ऐसे ख्रीस्तीय जो अपना लक्ष्य नहीं जानते हैं अर्थात् अपने सिद्धांतों से बंधे होते है, वैसे लोग दुनिवायी मनोभाव रखते हैं।"

उन्होंने कहा, "जिसके पास क्षमता न हो या उनके पास ऐसा मानवीय सुविधायें न हो जो उन्हें ख्रीस्त जयन्ती के आनन्द को समझने नहीं दे तो ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति दुनियावी आनन्द के साथ यह त्योहार मनाता है। पर दुनियावी खुशी और आन्तरिक आनन्द में बड़ा अन्तर है।

संत पापा ने निर्दोष बच्चों की पीड़ा के बारे में कहा कि ऐसे बच्चों का दुःख बड़ा है क्योंकि वे इसक अर्थ नहीं समझते, बस अपने दुःखों को मौन रूप में ही ईश्वर को चढ़ा देते।

संत पापा ने अपील की कि हम उदासीनता के चंगुल से बाहर आयें और चीज़ों की बरबादी न करें।

संत पापा ने कहा, "कलीसिया का सामाजिक सिद्धांत उसका मापसूचक है। गरीब और अर्थव्यवस्था कभी भी प्रगतिशील दिखाई देते, ऐसे समय में भी जब दुनिया प्रगति कर रही हो।

एक प्रश्न के जवाब देते हुए संत पापा ने कहा कि जब कोई उन्हें मार्क्सवादी कहता तो उन्हों इससे आपत्ति नहीं होती क्योंकि उन्होंने कई मार्क्सवादियों को जाना है जो वे नेक व्यक्ति रहे हैं।

अपनी प्राथमिकताओं की चर्चा करते हुए उन्होनें कहा कि ख्रीस्तीय एकता बहुत ज़रूर है। उन्होंने कहा कि एक ‘अन्तरकलीसियाई रक्त’ है। कई देशों में ख्रीस्तीयों की हत्यायें होती हैं बस ख्रीस्तीय होने के नाते पर अन्तरकलीसियाई एकता एक वरदान है जो अब तक पूर्ण नहीं हुआ है।

संत पापा ने येरूसालेम जाने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वे चाहते हैं पोप पौल षष्टम् ने पवित्र भूमि येरूसालेम जाने की 50वीँ वर्षगाँठ पर वे वहाँ जायें और कोन्सतनतिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष अपने भाई बारथोलम्यो से मुलाक़ात करें।

संत पापा ने कहा कि राजनीति उत्कृष्ट है जैसा कि पौल षष्टम् ने कहा था, "यह सेवा एक एक उत्कृष्ट रूप है, हम इसे दुषित करते हैं जब हम इसका कारोबार करने लग जाते हैं।"

कलीसिया में महिलाओं की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें सम्मान दिया जाना चाहिये, उन्हें ‘तुच्छ’ नहीं समझना चाहिये


















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