वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 दिसम्बर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 7 दिसम्बर को
‘डिगनितातिस ह्यूमाने’ अर्थात् ‘मानव मर्यादा’ संस्था के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। संत
पापा ने संस्था के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मानव मर्यादा को प्रोत्साहन
देता है जो बाईबिल के उस आधारभूत सत्य पर आधारित है जहाँ कहा गया है कि ‘ईश्वर ने मनुष्य
को अपना प्रतिरूप बनाया’। संत पापा ने कहा, "दुर्भाग्य से वर्त्तमान में कई प्रकार
की आशाएँ एवं उपलब्धियाँ, सत्ता एवं बल हैं जो विचार करने की संस्कृति को समाप्त कर चुकी
है तथा जो कॉमन मेनटालिटी या आम मानसिकता को जन्म देती है। इस संस्कृति वे लोग शिकार
होते हैं कमजोर, नाजुक, गरीब, बीमार एवं विकलांग हैं वे एक प्रकार से बहिष्कृत कर दिये
जाते हैं। जब कि वे भी काफी प्रगति कर सकते थे। मनुष्य का यह गलत प्रतिरूप एवं समाज की
नास्तिकता वादी प्रयोग, ईश्वर के वचन "हम मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनायें, यह हमारे सदृश
हो।"(उत्प.1: 26) की सच्चाई को अस्वीकार करती है।" संत पापा ने कहा, "ईश्वर की वाणी
उन लोगों को आशा एवं सांत्वना प्रदान करती है जो अपनी रक्षा करने में कमजोर हैं तथा अपने
अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाते हैं।" संत पापा ने कहा, "कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत
में वर्णित मानव का व्यक्तिगत और सामाजिक प्राणी होने की पूर्ण दृष्टि आपका ‘कम्पास या
दिशासूचक यंत्र’हो। ईशप्रजा की लम्बी आधुनिक यात्रा में इस दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण परिणाम
हुए देखे गये हैं, जैसे धार्मिक स्वतंत्रता, जीवन और इसके सब पहलू की रक्षा, श्रम तथा
मर्यादापूर्ण श्रम, परिवार, शिक्षा आदि का अधिकार, सराहनीय पहल है, जिसका लक्ष्य है -
लोगों, समुदायों और संस्थाओं की मदद करना, ताकि वे स्वतंत्रता और न्याय के आधार पर मानव
मर्यादा के सिद्धांत के सामाजिक और नैतिक व्यापकता की पुनः र्खोज़ कर सकें।" उन्होंने
प्रतिनिधियों से कहा, "व्यक्ति, समुदायों एवं संगठनों की मदद हेतु नैतिक एवं सामाजिक
स्वतंत्रता तथा न्याय की नींव मानव मर्यादा की व्यवस्था आपके हर प्रयास को स्वीकार करती
है।" संत पापा ने इस के लिए जागरूकता लाने एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया,
जिससे कि राजनैतिक क्षेत्र में कार्यरत लोग सुसमाचार एवं कलीसिया की सामाजिक शिक्षा के
अनुसार विचार कर सकें। अंत में संत पापा ने उन्हें उनके कार्यों की शुभकामनाएँ दीं।