2013-12-05 15:19:14

प्रभु के वचन का ज्ञान अच्छा है पर उसके अनुसार नहीं जीना हानिकारक


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 दिसम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के संत मार्था प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने 5 दिसम्बर को उपदेश में ईश्वर के वचनों के अनुसार नहीं जीने वाले ख्रीस्तीयों को हानिकारक बताया।
उन्होंने कहा कि प्रभु के वचन को सुन कर उसका पालन करना, चट्टान पर महल का निर्माण करने के समान है। सुसमाचार में येसु ने फ़रीसियों को फटकारा है क्योंकि वे संहिता की जानकारी तो रखते थे किन्तु उसे अपने जीवन में नहीं उतारते थे। संत पापा ने कहा कि प्रभु के वचन का ज्ञान अच्छा है किन्तु जीवन में उनका अभ्यास नहीं किया जाना, न केवल उन वचनों की उपेक्षा को दर्शाता किन्तु हमें हानि पहुँचाता एवं धोखा देता है। वचनों का ज्ञान हमें विश्वास दिलाता है कि हमारे पास सुन्दर इमारत है किन्तु अभ्यास के अभाव में यह घर एक ऐसा घर है जिसकी नींव ही नहीं है। नबी इसायस कहते हैं "निरंतर ईश्वर में विश्वास करो क्योंकि प्रभु एक सुदृढ़ चट्टान हैं।"
संत पापा ने कहा, "वह चट्टान स्वयं येसु ख्रीस्त हैं। यदि हमारे वचनों की जड़ें येसु ख्रीस्त में जमी हैं तो यह प्रभावशाली, जीवनदायक तथा सभी चुनौतियों का सामने में सक्षम होगी। वचन जिसका जड़ ख्रीस्त पर न होकर किसी व्यक्ति के जीवन पर आधारित है, वह धोखा देगा क्योंकि वह मात्र दिखावा एवं पागलपन है। इसे प्रभावित ख्रीस्तीय निरर्थक बातों में अपनी सुरक्षा ढूढ़ता, घमंड एवं सत्ता के लिए बल प्रयोग आदि परिस्थितियों को उत्पन्न करता।
अपने सामर्थ्य पर भरोसा रखने वाले घमंडियों का घमंड प्रभु चूर करते हैं। हम मुक्ति इतिहास में सामूएल की माँ अन्ना एवं मरिया के भजन में पाते हैं "उसने घमंडियों को तितर-वितर कर दिया है। उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया है।"

संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त से संबंध रखे बिना, प्रार्थना, उदारता, सेवा, प्रेम आदि सदगुणों के अभ्यास बिना, ख्रीस्तीय जीवन बालू पर निर्मित घर के समान है। परिणामतः आपसी विभाजित एवं कलीसिया में विभाजन की स्थिति पैदा होती हैं।
उन्होंने विश्वासियों से अपने वचनों पर चिंतन करने की सलाह दी तथा प्रार्थना की कि हम विनम्र एवं येसु ख्रीस्त में बने रहने की कृपा के लिए प्रार्थना करें।







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