2013-11-25 14:00:16

विश्वास वर्ष के स्वयंसेवकों को संत पापा का आभार


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 नवम्बर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने विश्वास वर्ष की समाप्ति पर विश्वास वर्ष के लिये बनी समिति के स्वयंसेवको की सराहना की।

वाटिकन सिटी में सोमवार 25 नवम्बर को आयोजित एक समारोह में संबोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "विश्वास का वर्ष विश्वासियों के लिये एक विशेष अवसर था जब उन्होंने विश्वास के ज्वाला को पुनः प्रज्वल्लित किया। इस ज्योति को हमने अपने बपतिस्मा में पाया था।"

उन्होंने कहा, "विश्वास वर्ष में आप सबों ने उदारतापूर्ण भाव से अपना समय और कौशल को बाँटा है विशेष करके लोगों को आध्यात्मिक पथ में अग्रसर होने देने के लिये विभिन्न प्रेरितिक पहलों में मदद करने के क्षेत्र में। सार्वभौमिक कलीसिया की ओर से मैं आप सबों को धन्यवाद देता हूँ और ईश्वर की स्तुति करता हूँ जिन्होंने हमें कृपा दी कि हम नेक पहलों को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सके।"

संत पापा ने कहा, "विश्वास वर्ष में हमने ख्रीस्तीय पथ के सार की पुनर्खोज़ कर सके। खोजने की प्रक्रिया में प्रेम के साथ विश्वास का विशेष योगदान रहा। सच पूछा जाये तो विश्वास की ख्रीस्तीय अनुभव का केन्द्रबिन्दु है क्योंकि विश्वास से हम प्रतिदिन के जीवन के निर्णयों की प्रेरणा पाते हैं। यह हमारे जीवन का एक ऐसा गुण है जो घर-परिवार, काम, कलीसिया तथा मित्रों और पूरे सामाजिक माहौल से हमें जोड़ता है।"

संत पापा ने कहा, "विश्वास के कारण ही एक ख्रीस्तीय विपत्ति काल में दृढ़ बना रहता है;वह ईश्वर पर पूर्ण भरोसा करता है क्योंकि ईश्वर का प्रेम चट्टान के समान मजबूत होकर उसकी रक्षा करता है।"

संत पापा ने कहा, "यदि हम विपत्तिकाल में नम्रतापूर्वक पूर्णरूप से ईश्वर को समर्पित कर देते हैं तो हमारा साक्ष्य प्रभावपूर्ण होता है।"

उन्होंने कहा, "विश्वास वर्ष ने आपको एक अवसर प्रदान किया जब आपने विभिन्न कार्यक्रमों में विभिन्न तरह के उत्साही लोगों के साथ कार्य किया है और कार्यक्रम को सफल बनाया है। आज हम सबों के साथ मिलकर आध्यात्मिक प्रबलता और प्रेरितिक उत्साह के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें क्योंकि उन्हीं की कृपा से हमने लोगों के ह्रदय को नये सुसमाचार प्रचार के लिये प्रेरित कर पाया है।"

संत पापा ने कहा, "दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जो हमारी मुस्कान का, स्नेह का और सत्य वचन का इन्तज़ार कर रहे हैं। आप अवसर न गवायें और उस स्नेह को साक्ष्य दें जो विश्वास से आता है ताकि वे येसु मसीह के सामीप्य का अनुभव कर सकें।"








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