वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्रांगण में, रविवार 24 नवम्बर को ख्रीस्त महाराजा पर्व एवं विश्वास वर्ष समापन समारोह
में संत पापा फ्राँसिस ने पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। पवित्र मिस्सा के दौरान उपदेश
में उन्होंने कहा, "आज हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त दुनिया के महाराजा का पर्व है। धर्मविधि
पंचांग के अनुसार वर्ष की चरम सीमा एवं संत पापा बेनेडिक्ट 16वें द्वारा घोषित विश्वास
वर्ष का समापन। आज संत पापा बेनेडिक्ट 16वें के प्रति उनके इस महान उपहार के लिए हमारा
हृदय स्नेह एवं आभार से भरा है। इस ऐतिहासिक पहल द्वारा उन्होंने बपतिस्मा संस्कार जो
हमें ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ तथा कलीसिया में एक-दूसरे के भाई-बहन बनाता है, उस दिन
से शुरु होने वाली विश्वास यात्रा की सुन्दरता को पुनः खोजने का अवसर प्रदान किया है।
यह एक ऐसी यात्रा है जिसका अंतिम लक्ष्य ईश्वर को आमने-सामने देखना। इस यात्रा के दौरान
पवित्र आत्मा हमें शुद्ध करता, योग्य बनाता तथा पवित्र करता है जिससे कि हम उस अनन्त
आनन्द में प्रवेश कर सकें जो हमारे हृदय की अभिलाषा है।" संत पापा ने उपस्थित पूर्वी
कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष एवं महाधर्माध्यक्षों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "मैं
पूर्वी कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष एवं महाधर्माध्यक्षों का अभिवादन करते हुए उनके
माध्यम से पवित्र भूमि, सीरिया एवं समस्त पूर्वी ख्रीस्तीय समुदाय को शांति एवं समझौता
का संदेश देता हूँ।" संत पापा ने पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि आज के पाठ की विषय
वस्तु ‘ख्रीस्त की केन्द्रीयता’ पर आधारित है। ख्रीस्त अपनी प्रजा तथा इतिहास के केंद्र
हैं। कलोसियों के नाम प्रेरित संत पौलुस लिखित पत्र, ख्रीस्त की केन्द्रीयता को गहरे
रूप से दर्शाता है। संत पौलुस कलोसियों को लिखते हैं कि "ईसा मसीह अदृश्य ईश्वर के प्रतिरूप
तथा समस्त सृष्टि के पहलौठे हैं क्योंकि उन्हीं के द्वारा सब कुछ की सृष्टि हुई है। सब
कुछ चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर, चाहे दृश्य हो या अदृश्य।... इस प्रकार ईश्वर
ने उन्हीं के द्वारा सब कुछ का चाहे वह पृथ्वी पर हो या स्वर्ग में, अपने से मेल कराया
है। (कलो.1:12-20) संत पापा ने कहा, "यह छवि हमें यह समझने में मदद करता है कि ख्रीस्त
समस्त सृष्टि के केन्द्र हैं। इस प्रकार, यह हमें एक सच्चे विश्वासी के समान ख्रीस्त
की केंद्रीयता को अपने जीवन में पहचानने एवं स्वीकार करने के मनोभाव का आह्वान करता है।
ख्रीस्त के कारण हमारा मनोभाव ख्रीस्तीय हो जाता है। हमारा सोच एवं हमारे विचार ख्रीस्त
के अनुकूल हो जाते हैं किन्तु जब यह ख्रीस्त की केन्द्रीयता खो जाती है तब किसी अन्य
वस्तु से भर जाती है जिसका परिणाम हमारे तथा हमारे आस-पास हानिकारक ही होता है। सृष्टि
के केन्द्र होने के अलावा ख्रीस्त मेल-मिलाप के भी केन्द्र हैं। ख्रीस्त ईश्वर की प्रजा
के केन्द्र हैं। आज वे हमारे बीच हैं। हम सभी ईश प्रजा के बीच वे पवित्र वचन एवं पवित्र
वेदी के बलिदान में उपस्थित हैं। सामूएल का दूसरा ग्रंथ इस्राएली जनता द्वारा राजा
दाऊद को ईश्वर के सम्मुख राजा घोषित करने की घटना का वर्णन करता है। (2राजा 5:1-3) लोग
एक ऐसे आदर्श राजा अर्थात् ईश्वर की खोज कर रहे थे जो उनके करीब हो, जो उन्हें उनकी यात्रा
में साथ दे जो उनके भाई के समान हो। ख्रीस्त, राजा दाऊद के उतराधिकारी वास्तव में
एक भाई हैं जिनके चारों ओर ईश्वर की प्रजा एक साथ एकत्र होती है। ख्रीस्त वह राजा हैं
जो अपनी प्रजा की देखभाल करते हैं। वे अपना जीवन न्योछावर करने तक हमारी चिंता करते हैं।
उन्हीं में हम सब एक हैं। एक प्रजा एकता के सूत्र में बंध कर, एक ही यात्रा तथा एक ही
लक्ष्य के सहभागी हैं। सिर्फ उन्हीं की केंद्रीयता में हमने प्रजा रूप में अपनी पहचान
पायी है। ख्रीस्त, मानव इतिहास एवं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन इतिहास के केन्द्र में
हैं। हम उनके पास हमारे जीवन के आनन्द एवं आशा, दुःख एवं कठिनाई ला सकते हैं। जब येसु
केन्द्र हैं तब हमारे जीवन की अंधकारमय परिस्थितियों में भी हमें आशा की ज्योति दिखाई
पड़ती है। जैसा कि आज के सुसमाचार में भला डाकू के साथ हुआ। सुसमाचार बतलाता है कि भला
डाकू के सिवा अन्य सभी ने येसु के साथ घृणा का बर्ताव किया। उन्होंने येसु से कहा, "यदि
तू ख्रीस्त है, राजा मसीह है तो क्रूस से उतर कर अपने को बचा।" भला डाकू यद्यपि जीवनभर
ईश्वर से दूर रहा तथापि जीवन के अंतिम घड़ी पश्चाताप करते हुए ईश्वर से निवेदन किया,
"ईसा, जब आप अपने राज्य में आयेंगे तो मुझे याद कीजिएगा।" (लूक.23:42) तब येसु ने
उसे अपने राज्य में स्वीकार करने की प्रतिज्ञा करते हुए कहा, "तुम आज ही मेरे साथ परलोक
में होंगे।" (पद.43) येसु क्षमा की बात करते हैं दण्ड की नहीं। जब कभी कोई क्षमा याचना
का साहस करता है येसु उसे यों ही जाने नहीं देते। आज हम अपने जीवन इतिहास एवं यात्रा
पर चिंतन करें। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का इतिहास है हम अपनी गलतियों, पापों, शुभ पलों
एवं निराशाजनक परिस्थितियों में येसु को देखें एवं ईमानदारी पूर्वक एकान्त में उनसे कहें
"प्रभु आप अभी अपने राज्य में विराजमान हैं मुझे याद कीजिए। येसु, मुझे याद कीजिए क्योंकि
मैं भला बनना चाहता हूँ किन्तु मुझ में शक्ति नहीं है। मैं एक पापी हूँ। येसु द्वारा
भला डाकू के लिए की गयी प्रतिज्ञा हमें आशा प्रदान करती है। यह हमें बतलाती है कि ईश्वर
की कृपा हमारी प्रार्थना से बढ़कर है। ईश्वर हमेशा प्रचुर मात्रा में देते हैं, वे अत्यन्त
दयालु हैं। अपने राज्य में याद करने के लिए हम प्रभु से प्रार्थना करें। हम पूर्ण विश्वास
से याचना करें ताकि हम स्वर्ग के अनन्त महिमा में सहभागी हो सकें। संत पापा ने पवित्र
मिस्सा के उपरांत विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।