2013-11-23 14:58:56

संत पापा ने यूरोपीय ऑलिम्पिक समिति की सराहना की



वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 नवम्बर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 23 नवम्बर शनिवार को यूरोपीय ऑलिम्पिक समिति के सदस्यों से मुलाक़ात की और उन्हें संबोधित किया।

संत पापा ने ऑलिम्पिक समिति के सदस्यों से मिलने की खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, " मैं यूरोपीय अन्तरीष्ट्रीय ऑलिम्पिक समिति के प्रयासों की सराहना करता हूँ क्योंकि आप लोगों ने अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के द्वारा लोगों के विकास और भ्रातृत्व की भावना को बढ़ाने का प्रयास किया है।"

संत पापा ने कहा कि खेल-कूद और कलीसिया के बीच का संबंध एक बड़ी उपलब्धि हो जो हाल के दिनों में मजबूत हुई है क्योंकि प्रतियोगिता मानव के पूर्ण विकास के लिये अति महत्वपूर्ण साधन है।

संत पापा ने कहा, "प्रतियोगितायें व्यक्ति को अपने आप पर विजय पाने में मददगार सिद्ध होता है, यह बलिदान की भावना को बढ़ाता है और मेहनत करने से आपसी संबंध को मजबूत कर नियमों के सम्मान और मित्रता की भावना दृढ़ करता है। खेल-कूद मानवीय और धार्मिक गुणों को विकसित कराता जो न्याय या भ्रातृपूर्ण संबंधों का आधार है।"

संत पापा ने कहा, "प्रतियोगितायें ऐसी अन्तराष्ट्रीय भाषा है जिसे भाषा. जाति, धर्म, विचारधारायें या अन्य कोई सीमायें रोक नहीं सकती हैं। ठीक इसके विपरीत यह सद्भावना को बढ़ावा देती है।"

संत पापा ने कहा, "वे उन सब संगठनों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं विशेष करके अन्तरराष्ट्रीय ऑलिम्पिक समिति को जो नयी पीढ़ी के लिये शांति, साझा और सहअस्तित्व की सीख दे रही है।"

उन्होंने कहा कि ऑलिम्पिक का प्रतीक ‘झंडे में पाँच रिंग’ इस बात की ओर इंगित करते हैं कि विश्व में भ्रातृत्व भाव बढ़े।

संत पापा ने कहा, "जब प्रतियोगिताओं को आर्थिक दृष्टिकोण से केवल देखा जाये और विजयी होने के होड़ में शामिल हों तो प्रतियोगी लाभ-हानि की वस्तु मात्र बन कर रह जाते हैं।"

उन्होंने कहा, "खेल-कूद प्रतियोगिता एक सद्भावना मंच है पर यदि इसमें धन-दौलत और जीत हावी हो जाये तो यह सद्भावना को तोड़ देता है।"

उन्होंने कहा, "ऑलिम्पिक अधिकारी होने के नाते आपका दायित्व है कि आप इसके शैक्षणिक पक्ष पर बल दें। आज ज़रूरत है ऐसे एथलीटों को तैयार करने का जो धार्मिकता से प्रेरित हो, नीतिगत और दायित्व से पूर्ण हों।"












All the contents on this site are copyrighted ©.