वाटिकन सिटी, वृहस्पतिवार, 21 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वृहस्पतिवार
21 नवम्बर को पूर्वी कलीसिया की पूर्णकालिक महासभा के लिये रोम में एकत्रित सदस्यों को
वाटिकन सिटी के क्लेमिनतीन सभागार में संबोधित किया।
संत पापा ने कहा, पूर्वी
कलीसिया की पूर्णकालिक महासभा वाटिकन द्वितीय महासभा और उसके पश्चात होने वाली काथलिक
सिद्धांत और शिक्षा से से प्रेरणा प्राप्त करे ख्रीस्तीय एकता के लिये कार्य करें विशेष
करके पूर्वी कलीसियाओं में।
संत पापा ने कहा, "मैं कलीसिया के पूर्वाधिकारियों
की शिक्षा और परंपरा को जारी रखते हुए इस बात की पुष्टि करना चाहता हूँ कि कलीसिया की
एकता अन्दर ही वैधानिक रूप से अन्य कलीसियायें अपनी परंपराओं के साथ संत पेत्रुस के आसन,
सार्वभौमिक प्रेम की एकता की प्राथमिकता को स्वीकार करते हुए इस बात की घोषणा करतीं हैं
कि भिन्नतायें एकता में बाधा नहीं पहुँचाती वरन इसमें मजबूत करती है।" (लूमेन जेन्सियुम,
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उन्होंने कहा,"मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि साम्यवादी शासन के दमन के
बावजूद पूर्व की विभिन्न कलीसियायें सब महादेशों में मजबूत हुईं हैं। आज ज़रूरत है अपने-अपने
क्षेत्र में लैटिन विधि के साथ एकता और भ्रातृत्व को सुदृढ़ करने की और विश्वासियों की
देखभाल करने की ताकि कौंसिल की बातों को सच्चाई में बदल सकें। इसके लिये आवश्यक है उन
परामर्श समितियों को मजबूत करना जो रोम परमधर्मपीठ और कलीसियों को जोड़तीं हैं।"
संत
पापा ने कहा, "उनका ध्यान उस पवित्र भूमि की ओर जाता है जहाँ येसु का जन्म हुआ, मृत्यु
हुई, पुनरुत्थान हुआ और जहाँ विश्वास की ज्योति बुझी नहीं है पर तब से चमक रही है जब
से उदित हुई है। हम सब उनके प्रति ऋणी हैं। आज हम उनसे अन्य कई बातों के अलावा इस बात
को अन्तरकलीसियाई और अन्तरधार्मिक वार्ता के बारे में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।"
संत
पापा ने कहा, "मध्यपर्वी क्षेत्र विशेष करके सीरिया. इराक, मिश्र और पवित्र भूमि के निकटवर्ती
राष्ट्रों में आपसी संघर्ष के कारण ख्रीस्तीय प्रताड़ित हुए हैं। रोम के धर्माध्यक्ष
रूप में में तबतक शांत नहीं होउँगा जबतक इस क्षेत्र के लोगों को मानव मर्यादा, जीविका
की आवश्यक वस्तुयें उपलब्ध न हों, चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों।"
उन्होंने
कहा कि वे पूर्व के कलीसिया के धर्माध्यक्षों के साथ संयुक्त रूप से अपील करता हैं व्यक्ति
के मर्यादित जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो और उन्हें विश्वास के घोषणा की
स्वतंत्रता मिले।
संत पापा ने कहा, "हम ऐसा कदापि न सोचें कि मध्यपूर्व राष्ट्र
ईसाईविहीन हो जायेगा। ऐसा इसलिये क्योंकि दो हज़ार वर्षों तक ईसाइयों ने धार्मिक विविधताओं
के बावजूद स्थानीय सामाजिक तथा सामाजिक जीवन से अपने को पूर्ण रूप एक करके येसु के नाम
की घोषणा की है।"
संत पापा ने कहा, "हम प्रार्थना करना जारी रखें और ईश्वर हमारी
मदद अवश्य करेंगे क्योंकि मेरा विश्वास है कि कलीसिया जानती है कि ईश्वर की दयालुता,
क्षमा और शांति कैसे प्राप्त करना है। इस नेक कार्य को पूरा करने के लिये धन्य जोन तेइसवें
और धन्य जोन पौल द्वितीय और शांति के राजकुमार को देनेवाली कुँवारी माँ मरियम हमारी मध्यस्थ
हैं।"