वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 नवम्बर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 19
नवम्बर को वाटिकन सिटी स्थित सान्ता मार्था निवास के प्रार्थनालय में दैनिक यूखरिस्तीय
बलिदान में प्रवचन देते हुए बुजूर्गों को सम्मान देने पर बल दिया।
संत पापा ने
कहा, "एक राष्ट्र जो बुजूर्गों का सम्मान नहीं करता उसका भविष्य धुँधला है। आज हम एक
ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ ‘वृद्धों को कोई नहीं पूछता’ जहाँ वे ‘दरकिनार’ कर दिये
जाते हैं दादा-दादी तथा नाना-नानी को सम्मान नहीं दिया जाता है जो देश के लिये अहितकारी
है।"
अपने उपदेश में बाईबल के मक्काबी की किताब में वर्णित एलियाज़ार के जीवन
से प्रेरित होकर संत पापा ने कहा कि एलियाज़ार ने अपने विश्वास के लिये शहीद होना स्वीकार
किया और इस साहसपूर्ण कार्य द्वारा युवाओं को एक अच्छा उदाहरण और अनुकरणीय विरासत सौंपी।
संत
पापा ने कहा कि समाज के बुजूर्ग ही इतिहास के वाहक है, जो हमें सिद्धांतों को देते जो
और हमारे लिये विश्वास जैसी अमूल्य विरासत को प्रदान करते हैं।
स्वदिष्ट मदिरा
के समान हमारे बुजूर्ग ऐसे स्त्रोत हैं जिनके पास एक आन्तरिक ताकत है जिसे वे हमें प्रदान
करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों की याद हमें विश्वास में मजबूत होने का आमंत्रण
देता है।
संत पापा ने अपने प्रवचन में उन तमाम लोगों की याद की जो विभिन्न वृद्धनिवासों
में पड़े हैं जिन्हें सबों ने त्याग दिया है। संत पापा ने कहा कि बुजूर्गों ने विश्वास
की विरासत को हम तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभायी है। उन्होंने ऐसे समय में अपने अदम्य
साहस का परिचय दिया है जब ख्रीस्तीयों को धर्मसतावट का सामना करना पड़ा।
संत
पापा ने कहा कि परमेश्वर के दस नियम के चौथे नियम की याद दिलाते हुए कहा कि हम उनके प्रति
अपना सम्मान दिखायें।