वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 14 नवम्बर 2013 (वीआर, सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास
संत मार्था में, 14 नवम्बर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए उपदेश में संत पापा फ्राँसिस
ने पवित्र आत्मा पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, "हमारा जीवन पवित्र आत्मा
से संचालित है। पवित्र आत्मा ईश्वर की आत्मा है, जो हमें सच्चाई को पहचानने में मदद करती
है। यह ईश्वर की इच्छा के अनुसार निर्णय लेने में सहायक है तथा सदा शांति प्रदान करती
है। यह पवित्रता, प्रेम, शांति एवं भाईचारे की आत्मा है।" संत पापा ने कहा कि ईश्वर
ने इब्राहीम से इसी की मांग की थी, ‘मेरी उपस्थिति निर्दोष जीवन व्यतीत करो।’ इब्राहीम
का जीवन शांति का जीवन था जो ईश्वर की आत्मा की प्रेरणा एवं प्रज्ञा से संचालित होता
था। हम कई विवेकशील व्यक्तियों को पाते हैं। वे इसीलिए विवेकशील हैं क्योंकि वे ईश्वर
के धैर्य की आत्मा से संचालित होते हैं। संत पापा ने कहा, जब हम ईश्वर की योजना
में खोट निकालना चाहते हैं तब हम भविष्य की सभी चीजों को अपनी मुट्ठी में करना चाहते
हैं। जैसा कि आज के पाठ में फ़रीसियों ने येसु से पूछा, "ईश्वर का राज्य कब आयेगा?" जानने
की इतनी अधिक उत्सुकता कि वे दिन और तारीख भी जानना चाहते हैं। उन्होंने कहा, अत्यधिक
उत्सुकता की भावना हमें प्रज्ञा की आत्मा से दूर कर देता है क्योंकि यह सिर्फ प्रतिदिन
की विस्तृत जानकारी, समाचार, छोटी-छोटी बातों आदि में रुचि रखता है। यह पसंद की आत्मा
है। पसंद, जिज्ञासा एवं बहुत अधिक बातें करने वाली आत्माएं या भावनाएँ अच्छी भावनाएँ
नहीं हैं क्योंकि वे हमें ईश्वर से दूर भटकाते हैं। येसु हमें बतलाते हैं कि अत्यधिक
जिज्ञासा हमें संदेह में डाल देता है। संत पापा ने बालक येसु की संत तेरेसा का उदाहरण
देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा जिज्ञासा की भावना में बढ़ने के पूर्व अपने को रोक लेती
थीं। ईश्वर का राज्य हमारे बीच है, इसे अनोखी चीजों में ढूंढने की आवश्यकता नहीं
हैं। इसे पाने के लिए कोई नवीन दुनियावी अनुसंधान की आवश्यकता भी नहीं है। आइये, हम अपने
आपको पवित्र आत्मा को संचालित करने दें। जो ईश्वरीय राज्य की आत्मा है तथा जिसके बारे
में येसु ने हमें बतलाते हैं।