2013-11-11 13:09:59

गरीब और अपंग भी कलीसिया के वरदान


वाटिकन सिटी, सोमवार 11 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 9 नवम्बर को वाटिकन स्थित पौल षष्टम सभागार में बीमार और अपंगों की देखरेख करने वाली इतालवी संस्था ‘यूनीतालसी’ के सदस्यों को संबोधित किया।

उन्होंने कहा, "गरीब यहाँ तक कि जिनका स्वास्थ्य कमजोर है वे भी कलीसिया के वरदान है और जो महिला और पुरुष उनकी सेवा करते या उनके लिये स्वयंसेवक बन गये हैं उनका दायित्व है कि वे इन वरदानों को जमा करें, और उन्हें न केवल कलीसिया के सदस्यों को दें पर पूरे मानव समाज को बाँटे।"

संत पापा ने उन लोगों की याद की जो यूनीतालसी के सदस्य हैं और येसु के प्रेम की खातिर भले समारी का पदचिह्नों पर चल रहे हैं और बीमारों को सांत्वना भरे शब्द प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि वे कभी हतोत्साहित न होवें पर सदा अपने समय और मुस्कान देकर उन लोगों की सेवा करें जो ज़रुरतमंद हैं।

संत पापा ने कहा कि प्रत्येक बीमार व्यक्ति अपने चेहरे मे येसु को देखे और दुनिया का प्रत्येक जन बीमारों और दुःखियों में ख्रीस्त को पहचाने।

उन्होंने कहा कि आज के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में दुनिया शारीरिक कमजोरी को छिपाने का प्रयास करती है और इस मात्र समस्या मानती है एक तिरस्कार मानती और कई बार तो बीमार व्यक्ति का तिरस्कार कर देती है।

संत पापा ने कहा कि ‘यूनीतालसी’ इस बात के लिये बुलायी गयी है कि वह एक साक्ष्य बने और इस दुनियावी विचार का विरोध करते हुए पीड़ितों की सेवा करे।

उन्होंने कहा कि बीमारों को ख्रीस्तीय समुदाय में स्वीकार करना और उन्हें इस बात की प्रेरणा देना कि वे समुदाय के अभिन्न अंग हैं, ही पल्लियों और संगठनों का मिशन हो। उन्होंने कहा कि कमजोर और पीड़ितों का साक्ष्य मात्र पाने वाले के रूप में नहीं है, पर कलीसिया में उनकी उपस्थित सक्रिय प्रेरितिक कार्य है।

संत पापा ने कहा कि अपंग यह कभी न समझें कि उनकी जीवन मात्र दया और सेवा के भरोसे टिका हुआ है पर वे समझें कि वे कलीसिया के मिशन और जीवन के अभिन्न अंग हैं। कलीसिया में उनकी भूमिका विशेष है।व कदापि शर्मिन्दा न हो क्योंकि व कलीसिया के लिये अति मूल्यवान हैं।

मालूम हो कि यूनीतालसी एक इतालवी संघ है जो बीमारों और अपंगों के लिये तीर्थयात्राओं का आयोजन करती है और उन्हें लूर्द और अन्य मरिया के तीर्थस्थलों के दर्शन कराती है। वर्ष 2013 यूनीतालसी की स्थापना का 110वाँ साल है।












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