अनन्त जीवन का पूर्वाभास है प्रार्थना, संस्कार और भ्रातृत्व में येसु का अनुभव
वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
घर के प्राँगण में, रविवार 10 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित
कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, रविवारीय सुसमाचार पाठ सदुकियों के साथ येसु
कीबहस की घटना को प्रस्तुत करता है। सदुकियों के अनुसार मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता।
सदुकियों ने मृतकों के पुनरुत्थान में विश्वास को नीचा दिखाने और येसु का उपहास करने
के मकसद से उन्हें एक सवाल किया। सवाल इस प्रकार था, "महिला जो सात पुरुषों के साथ विवाह
कर चुकी है पुनरुत्थान में वह किसकी पत्नी होगी?" येसु इसका उत्तर विनम्रता एवं धीरज
के साथ देते हैं वे कहते हैं कि मृत्यु के बाद हमारा जीवन इस संसार के जीवन की मापदंडों
से भिन्न होता है। अनन्त जीवन एक अलग प्रकार का जीवन है इसके आयाम अलग हैं। अनन्त जीवन
में विवाह नहीं होता जो इस दुनिया में हमारे अस्तित्व से संबंधित है। येसु कहते हैं कि
जिनका पुनरुत्थान होगा वे स्वर्ग दूतों के सदृश्य हो जायेंगे एवं एक अलग जीवन में प्रवेश
करेंगे। जिसकी हम अभी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। सदुकियों की गलत धारणा के कारण
येसु अपने शब्दों से उन पर प्रहार करते हैं। वे बड़े ही सरलता और मौलिकता से पुनरुत्थान
का मर्म समझाते हैं जो उनके प्रति श्रद्धा जगाता है। पुनरुत्थान का प्रमाण मूसा और जलती
हुई झाड़ी के प्रकरण में पाया जाता है।(निग.3:1-6) जहाँ ईश्वर खुद को इब्राहीम, इसहाक
एवं याकूब का ईश्वर कह कर प्रकट करते हैं। संत पापा ने कहा, "ईश्वर का नाम पुरूष एवं
महिलाओं के नाम से जुड़ा है अर्थात ईश्वर उनके साथ जुड़े हैं और यह बंधन मृत्यु से भी
अधिक मज़बूत है। उसी प्रकार हम प्रत्येक के साथ भी ईश्वर का रिश्ता का है। वे हमारे ईश्वर
हैं वे हमारा नाम लेते हैं और यही व्यवस्थान है। इस कारण येसु कहते हैं: "वे मृतकों का
नहीं जीवितों के ईश्वर हैं क्योंकि उनके लिए सभी जीवित हैं। (लूक.20:38) यह महत्वपूर्ण
एवं मौलिक संधि। येसु के साथ हमारी संधि एक व्यवस्थान है। जो स्वयं जीवन एवं पुनरुत्थान
हैं क्योंकि क्रूस के प्रेम से उन्होंने मृत्यु पर विजय पायी है। ईश्वर हम सभी को
येसु में अनन्त जीवन प्रदान करते हैं। वह जीवन जिसमें इस संसार के जीवन से अधिक यथार्थ
जीवन की आशा है, ईश्वर हमारे लिए तैयार करते हैं। वह एक साधारण आभूषण नहीं है तथा हमारी
कल्पना के परे है क्योंकि ईश्वर लगातार हमें अपने प्रेम और दया से अनुगृहित करते हैं।
अतः पुनरुत्थान का जीवन सदुकियों के सोच से बिलकुल भिन्न होगा। इस संसार का जीवन अनन्त
जीवन का पूर्वाभास है जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे हैं। अनन्त जीवन हम प्रत्येक के सांसारिक
जीवन के लिए आशा की ज्योति है। यदि हम इसे सिर्फ मानवीय नज़रों से देखें तो हमें लगेगा
कि व्यक्ति जीवन से मृत्यु की ओर बढ़ रहा है। संत पापा ने कहा कि येसु इस दृष्टिकोण को
बदलते एवं इसे मृत्यु से जीवन की तीर्थयात्रा रूप में प्रस्तुत करते हैं। हम यात्रा कर
रहे हैं, पूर्ण जीवन की एक तीर्थयात्रा पर जो एक प्रकाशमान जीवन है। इसलिए मृत्यु हमारे
सामने नहीं किन्तु पीछे है। हमारे सम्मुख तो जीवन्त ईश्वर हैं, व्यवस्थान का ईश्वर, वे
जो मेरे नाम को धारण करते हैं। वे कहते हैं मैं इब्राहीम, इसहाक एवं याकूब का ईश्वर हूँ।"
हम सभी के नाम का ईश्वर, जीवितों का ईश्वर, यही पाप एवं मृत्यु पर पूर्ण विजय है। एक
नये प्रकार के आनन्द एवं अनन्त प्रकाश की शुरुआत। हम इस पृथ्वी पर, प्रार्थना, संस्कार
और भ्रातृत्व में येसु तथा उनके प्यार को पाते हैं जो अनन्त जीवन का पूर्वानुभव हैं।
उनके प्यार एवं उनकी विश्वसनीयता का अनुभव हमारे हृदय में दीपक की तरह हमारा पथ प्रदर्शन
करता है, पुनरुत्थान में हमारे विश्वास को बढ़ाता है। वास्तव में, ईश्वर का प्यार एवं
उनकी विश्वासनीयता एक सीमित अवधि के लिए नहीं हैं। ईश्वर की विश्वासनीयता अनन्त है, यह
कभी बदल नहीं सकती है। ईश्वर का प्यार अनन्त है जो कभी परिवर्तित नहीं हो सकती है। यह
सदा के लिए है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए वे हमेशा विश्वस्त हैं। वे शाश्वत निष्ठा से
हमारा साथ देने के लिए निरंतर हम प्रत्येक का इन्तज़ार कर रहे हैं। इतना कहने के
पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना
प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने कहा, "आज जर्मनी के
पादेरबॉर्न में 19 वीं सदी की ‘पुवर फ्राँसिसकन सिस्टर्स ऑफ पेरपेच्वल अडोरेशन’ धर्म
समाज की संस्थापिका मरिया तेरेसा बोनज़ेल की धन्य घोषणा हुई। उन्होंने पावन ख्रीस्तयाग
द्वारा जरूरतमंदों की अथक सेवा करने का आध्यात्मिक बल प्राप्त किया। हम उनके साक्ष्य
के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें। संत पापा ने भयानक टैफून (आंधी) की चपेट में आये फिलिपीन्स
वासियों को अपनी आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करते हुए उनके लिए मौन प्रार्थना अर्पित की।
उन्होंने कहा, "मैं फिलीपीन्स वासियों को अपनी आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ। दुर्भाग्य
वश आंधी के कारण उन्हें अत्यधिक क्षति हुई है। आइये हम कुछ क्षण मौन रह कर उनके लिए माता
मरिया से प्रार्थना करें।(प्रणाम मरिया) जहाँ तक बन पड़े हम उन्हें आर्थिक सहायता भी
पहुँचायें।" आज क्रीस्टलनक्ट की 75 वीं बरसी है सन् 1938 ई. के 9 से 10 नवम्बर
की रात यहूदियों पर हिंसक आक्रमण हुआ था। हम यहूदियों के प्रति अपने समर्थन और एकता को
नवीकृत करते हैं तथा उनके लिए प्रार्थना करते हैं कि दुखद यादगार हमें हर प्रकार की घृणा
और असहिष्णुता से बचने के लिए जागरुक बनाये रखे। इटली में इस रविवार को धन्यवाद दिवस
के रुप में मनाया जाता है। मैं अपनी आवाज को धर्माध्यक्षों के साथ एक करते हुए कृषकों
को अपनी स्नेहपूर्ण सामीप्य प्रदान करता हूँ, विशेषकर, युवा जिन्होंने खेत में काम करने
का निश्चय किया है और जो इस कार्य में संलग्न हैं मैं उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ। वे
पर्याप्त भोजन एवं स्वास्थ्य से कभी वंचित न हों। अंत में संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों
एवं पर्यटकों का अभिवादन किया एवं उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।