वाटिकन सिटी, शुक्रवार 8 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 8 नवम्बर
शुक्रवार को वाटिकन प्रेरितिक सिगनातूरा अधिकरण (न्यायालय या ट्रिब्यूनल) की पूर्णकालिक
सभा को संबोधित करते हुए कहा, "आपका दायित्व है कि आप कलीसियाई ट्राइब्यूनल्स के क्रियाकलापों
की मदद करें ताकि विश्वासियों को न्याय मिल सके। इसके लिये यह भी आवश्यक है कि आप धर्माध्यक्षों
की मदद करें ताकि वे योग्य सेवकों को तैयार करें उचित निर्णय ले सकेँ।"
संत
पापा ने प्रेरितिक सिगनातूरा अधिकरण के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस विभाग ने
कलीसिया की महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं विशेष करके ‘एडुकेशन कोन्नुबी दिग्नीतातिस’ को
रचना में।
संत पापा ने कहा कि उनकी इच्छा है कि यह अधिकरण विवाहों को रद्द करने
की कलीसियाई प्रक्रिया में विशेष मदद करे।
उन्होंने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा
ने कलीसिया को एक सहभागिता रूप में परिभाषित किया है इसलिये विवाह संबंध की रक्षा और
उसकी मदद दोनों परिपेक्ष में देखा जाना चाहिये और इसके लिये सावधानीपूर्ण और सम्मानजनक
वार्ता की जानी चाहिये।
संत पापा ने कहा, "इसलिये आपलोगों को सदा इस बात का ध्यान
देना चाहिये कि वे आप कलीसिया के मिशन को सदा अपने मन में रखें। यह सेवा प्रेरितिक जीवन
के लिये किया गया न्याय हो। इसके लिये आप अपने मन में सदा भले चरवाहे का मनोभाव रखें
जो कमजोर और आहत भेड़ों को की झुका रहता है।"
संत पापा ने आशा व्यक्त की कि
माता मरिया इस नेक कार्य में उनकी मदद करें ताकि पूरी कलीसिया धार्मिकता में आगे बढ़े
जो प्रेम या दया का पहला रूप है।