2013-11-02 14:31:37

येसु हाथ पकड़ कर हमें पिता के पास ले चलते हैं जीवन के अंतिम दिन


वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 1 नवम्बर को, रोम के वेरानो स्थित कब्रस्थान में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। संत पापा ने उपदेश में कहा, "हम इस कब्रस्थान में एकत्र होकर उनकी याद कर रहे हैं जो हम से पहले गुजर चुके हैं, जो प्रभु में सो गये हैं।"
संत पापा ने पहले पाठ पर चिंतन केंद्रित करते हुए कहा कि स्वर्ग का दृश्य अत्यन्त सुन्दर है। जहाँ प्रभु ईश्वर का निवास है तथा जो भलाई, सच्चाई, सुख, और प्यार से परिपूर्ण है। हम जिसकी अभिलाषा करते हैं। जो हम से पहले गुजर गये हैं वे वहाँ उपस्थित हैं। वे घोषणा करते हैं कि अपने कर्मों के कारण नहीं किन्तु प्रभु के द्वारा वे बचा लिए गये हैं। मुक्ति का कार्य पिता के दाहिने बैठे प्रभु येसु का है जो हमारी मुक्ति करते हैं एवं जीवन के अंत में हाथ पकड़ कर हमें पिता के पास ले चलते हैं।
संत पापा ने कहा, "हम सिर्फ मेमने के रक्त द्वारा स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं,येसु के रक्त द्वारा जिसने हमें न्यायोचित ठहराया है। जिन्होंने स्वर्ग का द्वार खोल दिया है। हमारे भाई बहनें स्वर्ग में हैं क्योंकि उन्होंने ख्रीस्त के रक्त में अपना वस्त्र धो लिया है। ख्रीस्त का रक्त ही हमारी आशा है और यह आशा हमें कभी निराश नहीं होने देगी यदि हम ख्रीस्त के साथ चलेंगे।" संतों के महापर्व एवं मृत विश्वासियों के त्योहार के पूर्व दिन हमें इस आशा पर चिंतन करने की आवश्यकता है। प्राचीन ख्रीस्तीय आशा को समुद्र में लगाये गये लंगर से तुलना करते थे जो किनारे तक पहुँचने की आशा प्रदान करती थी। यह एक सुन्दर दृश्य है। आशा हमारे हृदय को हमारे प्रियजनों एवं हमारे पूर्वजों से बांधकर रखती है जहाँ वे सभी संतगण, ख्रीस्त एवं ईश्वर के साथ निवास करते हैं। यही हमारी आशा है।
संत पापा ने कहा कि हम सभी हमारे अंतिम दिनों के बारे में चिंतन करें। भविष्य में प्रभु द्वारा स्वागत किये जाने की आशा एवं आनन्द का अनुभव करें। हम अपने आप से पूछें कि हमारा हृदय किस लंगर से बंधा है? हम अपने हृदय की परख़ कर लें कि क्या यह स्वर्ग रूपी समुद्र के तट पर ही बंधा है?







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