दो नवम्बर को काथलिक कलीसिया मृत विश्वासियों
का स्मृति दिवस मनाती है। काथलिक कलीसिया की धर्मसैद्धान्तिक शिक्षा के अनुसार इस धरती
से चले जाने के बाद भी कुछ आत्माएँ अपने पापों से पूर्णतः छुटकारा नहीं प्राप्त करती
हैं तथा उन्हें शुद्धीकरण की आवश्यकता होती है। शुद्धीकरण की यह प्रक्रिया को ही शोधक
अग्नि की अवस्था कहा जाता है। हमारी प्रार्थनाएँ शोधक अग्नि की आत्माओं को स्वर्ग के
आनन्द में पहुँचाने में मदद प्रदान करती हैं। इसीलिये काथलिक विश्वासियों से आग्रह किया
जाता है कि वे मृत विश्वासियों के लिये विनती करें, उनके नाम में ख्रीस्तयाग अर्पित करवायें
तथा उनके नाम में दया के कार्य करें। प्राचीन व्यवस्थान के अय्यूब ने शोधक अग्नि की आत्माओं
के उदगारों को, मानों, अभिव्यक्ति प्रदान कर याचना की थीः "मेरे मित्रो, मुझपर दया करो,
दया करो।"
चिन्तनः "हम ख्रीस्त के अनुयायी, सब विश्वासियों की सहभागिता
में, जो इस धरती पर अपनी तीर्थयात्रा में लगे हैं, वे जो मर चुके हैं और जो इस समय शुद्धीकरण
की आशा कर रहे हैं तथा वे सब जो स्वर्ग का आनन्द प्राप्त कर चुके हैं, विश्वास करते हैं।
हम सब मिलकर एक ही कलीसिया के सदस्य हैं; हमारा विश्वास है कि ईश्वर एवं उनके सन्तों
का उदार प्रेम हमारी प्रार्थनाओं पर कान दे रहा है।" (सन्त पापा पौल षष्टम, 20 जून, सन्
1968)