2013-11-01 14:54:00

बुलाहट है संत बनना, विशेषाधिकार नहीं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 1 नवम्बर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने संब संतों के पर्वोत्सव पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में हज़ारों की संख्या में उपस्थित लोगों से कहा, " मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सब संतों का त्योहार हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमारे जीवन का लक्ष्य मृत्यु नहीं, पर स्वर्ग है।"

उन्होंने कहा, "इस सत्य के बारे में संत योहन ने कहा है कि हम किस तरह दिखाई पड़ेंगे इसके बारे में स्पष्ट रूप से नहीं प्रकट किया गया है पर हम जानते हैं कि जब वह आयेंगे तो हम भी उन्हीं के समान बन जायेंगे और हम उन्हें वैसा ही देखेंगे जैसा कि वास्तव में है।"

संत पापा ने कहा, "संत जो ईश्वर के मित्र बन गये हैं हमें इस बात का आश्वासन देते हैं कि ईश्वर की प्रतिज्ञा सच्ची है और हमें निराश कदापि नहीं करेगी। अगर हम अपने इस जीवन को ईश्वर के साथ संयुक्त होकर जीते हैं तो हम भी उन्हीं के समान बन जायेंगे और उनकी महिमा को साक्षात देखेंगे।

संतगण सुपर मानव नहीं हैं, न ही वे जन्म से परिपूर्ण है। संतगण स्वर्ग जाने के पूर्व आम लोगों के समान ही दुःख और सुख, संघर्ष तथा आशामय जीवन बिताते हैं पर जब वे ईश्वर को पाते और उसके उसके प्रेम का अनुभव करते तो अपने पूरे ह्रदय से उसका अनुसरण करने लगते हैं।

पवित्रता कुछ लोगों की सम्पति नहीं है पर सबों का बुलावा है, इसलिये हमें चाहिये कि हम सब पवित्रता के पथ पर चलें। उस पवित्रता का एक नाम और चेहरा है -येसु मसीह जिन्होंने हमें सुसमाचार के द्वारा संत बनने का रास्ता दिखलाया है।












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