आल्फोनसुस रोडरिग्ज़ का जन्म, स्पेन के सेगोविया
में, 25 जुलाई सन् 1532 ई. को हुआ था। आल्फोन्सुस या आलोन्सो येसु धर्मसमाज के एक धर्मबन्धु
थे। आल्फोन्सुस के पिता एक समृद्ध व्यापारी थे तथा ततकालीन समाज में उनका अत्यधिक प्रभाव
था। धन्य पीटर फावरे आल्फोन्सुस के पिता के मित्र थे तथा उन्हीं ने आल्फोन्सुस को धर्मशिक्षा
प्रादन की थी। उन्हीं की संगति में आल्फोन्सुस विश्वास में परिपक्व हुए थे। उनकी शिक्षा
दीक्षा येसु धर्मसमाजियों देवारा संचालित विद्यालय में हुई थी।
आल्काला में जब
ने अध्ययनरत थे तब ही उन्हें पिता की मृत्यु का समाचार मिला जिसे पाकर वे पुनः सेगोविया
लौट आये। सेगोविया में उन्होंने अपने परिवार की ज़िम्मेदारियाँ वहन की और पिता के व्यापार
में लग गये। उन्होंने विवाह रचाया तथा एक बेटे के पिता भी बने। कुछ समय बाद उनके बेटे
एवं पत्नी की भी मृत्यु हो गई। आल्फोन्सुस ने अपना कारोबार बेच दिया तथा येसु धर्मसमाज
में प्रवेश करने हेतु अर्ज़ी भेज दी। कम शिक्षा, कमज़ोर स्वास्थ्य तथा उनके अतीत के जीवन
के कारण येसु धर्मसमाज के लिये के उन्हें अयोग्य पाया गया। तथापि, उनकी श्रद्धा और विनम्रता
से प्रभावित होकर धर्मसमाज प्रमुख ने उन्हें धर्मबन्धु रूप में येसु धर्मसमाज में प्रवेश
दे दिया।
31 जनवरी, 1571 ई. में उन्होंने आजीवन समर्पित जीवन यापन की शपथ ग्रहण
की। मायोरका द्वीप पर उन्हें प्रशिक्षण के लिये भेजा गया जिसके बाद 24 वर्षों तक उन्होंने
चौकीदार एवं द्वारपाल रूप में धर्मसमाज की सेवा की। धर्मबन्धु आल्फोन्सुस की सादगी तथा
उनकी विनम्रता ने कई युवाओं को प्रभावित किया जो उनसे मार्गदर्शन लेने आया करते थे। इनमें
सन्त पीटर क्लावर भी शामिल थे। आज्ञाकारिता, विनम्रता एवं पश्चाताप और साथ ही मरियम भक्ति
धर्मबन्धु आल्फोन्सुस के जीवन के प्रमाण चिन्ह बन गये थे। अपने कामकाज के बाद वे घण्टों
प्रार्थना में लीन रहा करते थे तथा कई बार भाव समाधि में प्रवेश कर जाते थे। उन्होंने
अपने आध्यात्मिक अनुभवों पर अनेक निबन्ध भी लिखे हैं जो आज भी काथलिक गुरुकुलों में छात्रों
की प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं।
एक लम्बी बीमारी के बाद 31 अक्टूबर, सन् 1617
ई. को आल्फोन्सुस का निधन हो गया था। सन् 1626 ई. में उन्हें पूजनीय घोषित कर मायोरका
के संरक्षक घोषित किया गया था। सन् 1825 ई. में आल्फोन्सुस रोडरिग्ज़ धन्य घोषित किये
गये थे। सन् 1888 ई. में सन्त पीटर क्लावर के साथ स्पेन के धर्मबन्धु आल्फोन्सुस रोडरिग्ज़
को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया गया था। मायोरका के संरक्षक सन्त आल्फोन्सुस
रोडरिग्ज़ का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाता है।
चिन्तनः "धन्य हैं मन
के दीन क्योंकि स्वर्गराज्य उन्हीं का है।" (सन्त मत्ती 5: 3)