इथियोपिया में सबसे पहले ख्रीस्तीय धर्म के
प्रचार का श्रेय सन्त फ्रूमेन्तियुस को जाता है जिन्होंने अपनी महान क्षमता एवं सूझ बूझ
के साथ उन लोगों में प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रचार किया जो सदियों तक असंख्य देवी
देवताओं को पूजते आये थे।
फ्रूमेन्तियुस का जन्म लेबनान के टियर में हुआ था।
बाल्यावस्था में उनके चाचा उन्हें तथा उनके छोटे भाई एदेयुस को पूर्वी अफ्रीका ले गये
थे जहाँ पोत भंग हो जाने के कारण जहाज़ के सभी लोग डाकुओं के हाथों मारे गये थे जबकि
फ्रूमेन्तियुस एवं एदेयुस बच गये थे। समूद्री डाकूओं ने इन दोनों बच्चों को इथियोपिया
के राजा आक्सियुम को बेच दिया था। आक्सुम के राजा आक्सियुम ने इन्हें अपने दरबार में
रखा तथा उनका लालन पालन अपनी सन्तान के समान किया। वयस्क होने पर दोनों भाई राज दरबार
में ही नौकरी करने लगे।
राजा आक्सियुम की मृत्यु के बाद इथियोपिया की रानी ने
भी इन्हें अपने दरबार में ज़िम्मेदार पदों पर नियुक्त कर दिया। इन पदों पर रहते ही फ्रूमेन्तियुस
ने दूर दूर तक की यात्राएँ की तथा ख्रीस्तीय धर्म के प्रमुख नेताओं के सम्पर्क में आये।
प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने न केवल ख्रीस्तीय
धर्म का आलिंगन किया अपितु सम्पूर्ण इथियोपिया में इसका प्रचार किया। उन्हें आक्सुम का
धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा उनके पद चिन्हों पर आक्सुम राज्य के अनेकानेक लोगों
ने ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार कर लिया। उनके इस उद्यम में उन्हें उनके भाई एदेनियुस के
अलावा सन्त अथानासियुस एवं एलेक्ज़ेनड्रिया के प्राधिधर्माध्यक्ष का महान समर्थन मिला।
फ्रूमेन्तियुस एवं उनके भाई एदेनियुस को इथियापिया के प्रेरित माना जाता है।
मिस्र
की कॉप्टिक कलीसिया, पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसिया तथा रोमी काथलिक कलीसिया में फ्रूमेन्तियुस
एवं उनके भाई एदेयियुस सन्त घोषित किये गये हैं। रोमी काथलिक पंचांग के अनुसार सन्त फ्रूमेन्तियुस
का पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाता है।
चिन्तनः चिन्तनः "धन्य हैं वे
जिनका हृदय निर्मल है, वे ईश्वर के दर्शन करेंगे" (मत्ती 5: 8)