वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 24 अक्तूबर 2013 (एशियान्यूज़): "क्या ईश्वर भी कैदी हैं?
हमारी स्वार्थपरता तथा हमारा अन्याय जो सहज ही समाज के कमजोर वर्ग को दण्डित करता है
किन्तु बड़ी मछलियाँ स्वच्छंद तैरती हैं।" यह बात संत पापा फ्राँसिस इटली के कारावासों
में सेवारत पुरोहितों के राष्ट्रीय सम्मेलन के 200 सदस्यों से कही। उन्होंने कहा,
"मैं जानता हूँ कि बॉयनेस आएरेस में कैद खाने में कौन रखे गये हैं।" विदित हो कि
यह सम्मेलन रोम के करीब साक्रोफनो में चल रहा है जिसकी विषय वस्तु है- "न्याय का अर्थ
दण्ड या मेल मिलाप या निःशुल्क आजादी।" संत पापा ने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे कैदियों
को बतायें कि ईश्वर उनके नजदीक हैं।" वे अपने व्यवहार, शब्दों तथा हृदय से बतायें कि
ईश्वर उनके क़ैदख़ाने के कमरे से बाहर नहीं हैं। ईश्वर अन्दर उनके साथ हैं, वे वहाँ उपस्थित
हैं क्योंकि कोई भी कमरा ऐसा नहीं हो सकता जिसमें प्रभु प्रवेश नहीं कर सकते हैं। वे
उनके सात रोते हैं, काम करते हैं तथा भविष्य की आशा करते हैं।" उन्होंने पुरोहितों
से आग्रह करते हुए कहा, "कृपया उन्हें बतायें कि मैं उनके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ,
मैं उन्हें अपने हृदय में रखता हूँ। मैं प्रभु एवं माता मरिया से प्रार्थना करता हूँ
कि वे अपने जीवन के मुश्किल दौर से सकुशल पार हो सकें। यदि वे निराश हैं, तब भी उनका
पितृ तुल्य एवं मातृ तुल्य प्यार सभी जगह पहुँच सकता है।" संत पापा ने उनके लिए प्रार्थना
की कि "प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर के प्यार के प्रति अपने हृदय के द्वार खोलें।" संत
पापा ने पुरोहितों की प्रेरिताई के लिए प्रार्थना की और कहा कि उनका काम सहज नहीं है
तथा चुनौतियों से भरा है किन्तु बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह दया के कामों में से
एक है। संत पापा ने पुरोहितों से कहा, "ख्रीस्त की उपस्थित कारावास में भी है तथा
आप उनकी उपस्थिति के चिन्ह हैं। आपने न्याय एवं मेल मिलाप विषय पर विचार विर्मश किया
है। न्याय की आशा भी द्वार खोल देता है यह काल्पनिक नहीं है और आसान नहीं है किन्तु यह
संभव है। बुराई एवं प्रलोभन सभी जगह मौजूद है किन्तु हमेशा सच्चाई की खोज करते रहें।