2013-10-24 15:31:18

ख्रीस्तीयता में सच्चे आंतरिक परिवर्तन की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, 24 सितम्बर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 24 अक्तूबर को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
पवित्र मिस्सा के दौरान उपदेश में उन्होंने रोमियों के नाम लिखे संत पौलुस के पत्र पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि सभी बपतिस्मा धारी ख्रीस्तीय पवित्रता के मार्ग में बढ़ने के लिए बुलाये गये हैं।
उन्होंने कहा, "हम ख्रीस्त में नवीकृत किये गये हैं। ख्रीस्त ने अपने लहू द्वारा हमें नयी सृष्टि बनाया है। इसके पूर्व, हमारा शरीर, हमारी आत्मा तथा हमारी आदतें पाप और अधर्म के रास्ते पर थी। इस नवीकरण के पश्चात् हमें धार्मिकता एवं पवित्रता के मार्ग पर चलना है। हम सभी ने उस समय बपतिस्मा ग्रहण किया जब हम अबोध बालक थे। माता पिता ने हमारे नाम पर विश्वास को प्रकट किया कि मैं ‘येसु ख्रीस्त एवं पापों की क्षमा पर विश्वास करता हूँ।’"
बपतिष्मा संस्कार में येसु ख्रीस्त पर विश्वास की जो कृपा हमने पायी है, उसे आगे बढ़ाना है, उस विश्वास को जीना है। यदि ख्रीस्तीय जीवन जीना है तो ख्रीस्त पर विश्वास को आगे बढ़ाना है। विश्वास के रास्ते पर आवश्यक कार्यों को करते जाना है।
संत पापा ने कहा कि हम कमजोर है, बहुत बार पापा करते हैं तथा अशुद्ध हो जाते हैं अतः हमें शुद्धिकरण की आवश्यकता है। हम येसु ख्रीस्त में विश्वास कर शुद्ध हो सकते हैं। येसु को छोड़ अपने आप पर भरोसा करने वाला शुद्ध नहीं हो सकता। शुद्ध होने के लिए हमें पश्चाताप करना तथा मेल-मिलाप का संस्कार ग्रहण करना है।
इस चेतना के बिना हमारी ख्रीस्तीयता अधूरी है तथा यह दिखावा मात्र रह जाता है। हम अपने को ख्रीस्तीय कहते किन्तु जीते कुछ और हैं। ऐसे लोगों को मध्य मार्गी ख्रीस्तीय कहा जाता है। हम पवित्र हैं, मुक्त किये गये हैं तथा ख्रीस्त के लहू द्वारा शुद्ध किये गये हैं किन्तु जो इसकी गंभीरता नहीं समझते हैं वे गुनगुने बने रहते हैं। ख्रीस्तीयता में सच्चे आंतरिक परिवर्तन की आवश्यकता है।








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