नई दिल्लीः सांप्रदायिक हिंसा सम्बन्धी बिल लाने पर ज़ोर
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर सन् 2013(पीटीआई): भारतीय सरकार ने एक बार फिर कई वर्षों से विवादों
में पड़े साम्प्रदायिक हिंसा सम्बन्धी विधेयक (कम्यूनल वॉयलेंस बिल) पर ज़ोर देना शुरु
कर दिया है। केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार विधेयक को आगे बढ़ाने पर
काम शुरु हो चुका है। उनका कहना था कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर किए जाने वालों
हमलों से बचाने के लिए साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक को आगे बढ़ाने का
काम शुरु हो चुका है तथा उन्होंने संबंधित विभागों से विधेयक का विवरण मांगा है। ग़ौरतलब
है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के.रहमान खान ने मुजफ्फरनगर दंगों का हवाला देते हुए
विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश करने की वकालत की है। हालांकि, खान ने यह
भी कहा कि इस बारे में फैसला सरकार को करना है। गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के
अधिकारियों ने विधेयक में निहित कुछ शर्तों एवं खण्डों पर आपत्ति जताई है जिनमें साम्प्रदायिक
हिंसा फैलने पर नौकरशाहों की ज़िम्मेदारी शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि सामान्य
कामकाज के निर्वाह में इनसे बाधाएँ पैदा होंगी। सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक,
2011 के प्रावधानों पर केन्द्रित है जिसे सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार
परिषद ने तैयार किया था। विधेयक के प्रस्ताव के मुताबिक, धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक,
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को निशाना बनाकर की गई हिंसा को रोकने और
उस पर नियंत्रण रखने के लिये निष्पक्ष और भेदभाव रहित ढंग से अधिकारों का इस्तेमाल करना
केंद्र, राज्य सरकारों और उनके अधिकारियों के दायित्वों का अनिवार्य हिस्सा होगा। भारतीय
जनता पार्टी ने प्रस्तावित विधेयक का कड़ा विरोध कर सवाल उठाया है कि विधेयक पहले से
कैसे अंदाजा लगा सकता है कि दंगों के लिए हमेशा बहुसंख्यक समुदाय ज़िम्मेदार है।