अंग्रेज़ी अनुवाद परिषद ने लोगों को जागरुक और सक्रिय सहभागी बनाया
वाटिकन सिटी, शुक्रवार 18 अक्तूबर, 2013 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने पूजन पद्धति
के अंग्रेजी अनुवाद के लिये बनी अंतरराष्ट्रीय परिषद की सभा की स्थापना के 50 वर्ष पूरे
होने के अवसर पर आयोजित सभा को शुक्रवार 18 अक्तूबर को संबोधित किया।
सभा को
संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वाटिकन द्वितीय महासभा के ‘कोन्स्टीट्यूशन ऑफ़ द डिवाइन
लिटर्जी’ अर्थात् दिव्य पूजनविधि के संविधान ने पूजन पद्धति के नवीनीकरण के लिये 50 वर्ष
पहले इस परिषद की स्थापना की थी।
उन्होंने कहा, "50वीं वर्षगाँठ एक ऐसा सुअवसर
है जब परिषद् की उपलब्धियों के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें। इस परिषद ने हमें में पूजन
पद्धतियों का अंग्रेजी अनुवाद हमारे लिये दिया है और हमें कलीसियाई पूजन विधि और संस्कारों
को समझने योग्य बना दिया है। इस परिषद ने ख्रीस्तीयों को पूजन पद्धति के प्रति जागरूक,
सक्रिय और इसमें सहभागी होने के लिये प्रोत्साहन दिया है।"
संत पापा ने कहा,
"अंग्रेजी अनुवाद परिषद ने ने केवल प्रार्थना बनाने में मदद दी है पर विश्वास को समझने,
येसु की पुरोहिताई का आशय समझने और कलीसियाई मिशन को समझने के लिये भी लोगों को सक्षम
कर दिया है।"
धन्य जोन पौल द्वितीय ने कहा था कि द्वितीय वाटिकन महासभा को कई
लोगों ने पूजन विधि में संशोधन रूप में ही समझते रहे हैं।
संत पापा फ्राँसिस
ने कहा, "अँग्रेज़ी अनुवाद कमीशन ने कलीसिया की एकता को सुदृढ़ करने और संस्कारीय एकता
को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है।"
उन्होंने कहा, "एकता और सहभागिता, जो पवित्र
तृत्व से आरंभ होती है विभिन्नता को समृद्ध करती है। आप उस एकता को आगे बढ़ायें जिसकी
परिकल्पना संत पापा पौल षष्टम् ने उस समय की थी जब उन्होंने रोमन मिशल को प्रस्तुत किया
था।
पौल षष्टम् ने कहा था, " भाषाओं की विभिन्नताओं में एक प्रार्थना निकल आयेगी
जो स्वर्गीय पिता, प्रभु येसु ख्रीस्त महापुरोहित और पवित्र आत्मा को ग्राह्य होगी।"