वाटिकन सिटी, बुधवार 16 अक्तूबर, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, प्रेरितों के धर्मसार में
हम ख्रीस्तीय इस बात की घोषणा करते हैं कि कलीसिया ‘प्रेरितिक’ है। इसका अर्थ हम तीन
तरह से समझ सकते हैं।
पहला, काथलिक कलीसिया प्रेरितिक है क्योंकि येसु ने कलीसिया
की नींव प्रेरितों पर डाली जिन्हें उन्होंने चुना और अपने मिशन को जारी रखने के लिये
दुनिया में भेजा। इस तरह प्रेरित संत पौल ने कलीसिया की तुलना एक ऐसे गिरजाघर से की है
जिसका नींव हैं - प्रेरितगण और येसु इस कलीसिया के ‘कोने के पत्थर’ (आधारशिला) हैं। (एफे.
2, 19-20)
दूसरा, काथलिक कलीसिया प्रेरितिक इसलिये भी है क्योंकि यह येसु की
शिक्षा और उनके द्वारा दिखलाये गये मुक्ति मार्ग की रक्षा करती और इसका प्रचार-प्रसार
करती है।
तीसरा, काथलिक कलीसिया प्रेरितिक है क्योंकि यह येसु द्वारा दिये गये
प्रेरितों को सौंपे गये मिशन को पूर्ण करती है। यह दुनिया के लोगों को येसु का शिष्य
बनाती, बपतिस्मा देती और उसकी आज्ञाओं का पालन करना सिखलाती है। (संत मत्ती, 28, 19-20)
आज
हम उस कलीसिया के समीप आयें उसे प्यार करें जहाँ हमें पुनर्जीवित येसु से मिल सकते हैं
जो हमें मिशनरियों के रूप में दुनिया में भेजते हैं ताकि हम दुनिया के लोगों को आमंत्रित
कर सकें और वे सुसमाचार की सत्यता से अवगत हो सकें, विश्वास की खुशी और अनन्त जीवन की
आनन्द को प्राप्त कर सकें।
इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने नोर्वे से आये नाटो डिफेंस कॉलेज के प्रतिनिधियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन
किया।
इसके बाद इंगलैंड, इंडोनेशिया, डेनमार्क, चीन, आयरलैंड, स्वीडेन, घाना,
नाईजीरिया, कोरिया, इस्राएल, त्रिनिदाद व तोबागो, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,
अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को
विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।