2013-10-16 12:00:57

रोमः भुखमरी एवं कुपोषण मानवजाति की गम्भीरतम चुनौती, सन्त पापा फ्राँसिस


रोम, 16 अक्टूबर सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि भुखमरी एवं कुपोषण मानवजाति के समक्ष प्रस्तुत एक गम्भीरतम चुनौती है।
16 अक्टूबर को, विश्व खाद्य दिवस के उपलक्ष्य में, रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में, एक समारोह आयोजित किया गया जिसमें रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय एजेन्सियों तथा संगठनों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष लूईजी त्रावालीनो ने सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश पढ़ा।
सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं: "विश्व खाद्य दिवस हमारा ध्यान मानवजाति के समक्ष प्रस्तुत अति गम्भीर चुनौती की ओर आकर्षित करता है और वह है उन लाखों लोगों की त्रासदिक स्थिति जो क्षुधा पीड़ित एवं कुपोषित हैं।" उन्होंने कहा कि विज्ञान, सम्प्रेषण माध्यमों की प्रगति तथा अन्य क्षेत्रों में अतिविकास के इस युग में, विश्व में व्याप्त भुखमरी एवं कुपोषण की स्थिति और अधिक गम्भीर रूप ले लेती है।
उन्होंने कहा कि आपातकालीन सहायता प्रदान कर विश्व से भुखमरी एवं कुपोषण को हटाया नहीं जा सकेगा बल्कि इसके लिये व्यक्तिगत रूप से एवं सामाजिक रूप से अन्तःकरणों को जगाना होगा तथा सभी स्तरों पर समस्या पर ध्यान देना होगा ताकि न्यायसंगत एवं स्थायी समाधान पाया जा सके।
सन्त पापा ने कहा कि हालांकि वैश्वीकरण ने मानव सम्बन्धों को सघन किया है तथा आदान प्रदान को सरल बनाया है तथापि, दुर्भाग्यवश, व्यक्तिपरक एवं स्वार्थगत प्रवृत्तियाँ प्रबल हो रही हैं तथा अन्यों के प्रति उपेक्षा भाव को बढ़ावा दे रही हैं। इस सन्दर्भ में, सन्त पापा ने कहा, "पहले से कहीं अधिक आज एकात्मता में प्रशिक्षित होने तथा इस शब्द के मूल्य को समझने की आवश्यकता है।
सन्त पापा ने कहा कि उदारता एवं प्रेम सम्बन्धी अपने मिशन के प्रति निष्ठावान रहते हुए काथलिक कलीसिया क्षुधा पीड़ितों एवं सभी ज़रूरतमन्दों के पक्ष में सम्पादित पहलों को समर्थन देती है। उन्होंने कहा कि क्षुधा एवं कुपोषण केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है बल्कि यह मानव-प्रतिष्ठा एवं मानव-गरिमा से सम्बन्धित है।








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