वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 अक्तूबर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 10 अक्तूबर
को, वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मार्था में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। पवित्र
मिस्सा के दौरान उपदेश में उन्होंने संत लूकस रचित सुसमाचार के ‘दुराग्रही मित्र’ के
दृष्टांत पर चिंतन प्रस्तुत किया तथा प्रार्थना में साहस की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने
कहा, "हम चिंतन करें, हम किस प्रकार प्रार्थना करते हैं? क्या हम आदत से प्रार्थना करते
हैं, या साहस के साथ कृपा मांगने के लिए ईश्वर के सम्मुख आते हैं? प्रार्थना में साहस
का होना अति आवश्यक है। जिस प्रार्थना में साहस का अभाव है वह प्रार्थना वास्तविक प्रार्थना
नहीं है। प्रार्थना में यह विश्वास करना आवश्यक है कि ईश्वर हमें सुनेंगे।" दूसरे
बिन्दु पर उन्होंने कहा कि जब हम साहस पूर्वक प्रार्थना करते हैं तब ईश्वर हमें कृपा
प्रदान करते हैं। पवित्र आत्मा में अपने आप को अर्पित करते हैं। ईश्वर अपनी कृपा को पोस्ट
या पत्र द्वारा नहीं भेजते। वे स्वयं लेकर आते हैं, वे स्वयं सच्ची कृपा हैं जिसकी हम
कामना करते हैं। यदि हमारी प्रार्थना में दम है तो हम ईश्वर की महत्वपूर्ण कृपा को प्राप्त
कर पायेंगे। अंत में संत पापा ने कहा कि हम कृपा की याचना करते हैं किन्तु प्राप्त
करने पर धन्यवाद बोलने का साहस नहीं करते। उनसे कृपाओं को प्राप्त कर उनके दरवाजे को
भूल जाते है। ईश्वर हमें कृपा दें कि हम साहस पूवर्क उनके पास आयें तथा बीमारों की सेवा
कर उनकी प्रशंसा कर सकें।