2013-10-05 15:17:38

उड़ीसा की ज़िला अदालत ने हत्या के आरोप पर 8 निर्दोषों को सज़ा सुनाई


उड़ीसा, शनिवार, 5 अक्तूबर 2013 (उकान): भारत स्थित उड़ीसा की एक ज़िला अदालत ने बृहस्पतिवार को, 5 वर्षों पूर्व उड़ीसा में हिन्दू नेता की हत्या के आरोप में, राज्य के 8 व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई, जिन में 7 निर्दोष काथलिक हैं।
बचाव दल की और से राजकिशोर प्रधान ने ऊका समाचार से कहा, "फुलबनी अदालत ने 8 लोगों को, 23 अगस्त 2008 ई. को स्वामी लक्ष्मीनन्द सरस्वती एवं उनके चार सहयोगियों को षड्यंत्र के तहत गोली मार कर हत्या करने का अपराधी करार दिया है। उन आठ लोगों को 14 वर्षों तक जेल एवं 10 हज़ार रुपये की सज़ा सुनाई गयी है।"
अदालत के निर्णय से पहले प्रधान ने ऊका समाचार को बताया था कि 7 ख्रीस्तीयों के खिलाफ साजिश या हत्या में भागीदारी का कोई सबूत नहीं था ।
राज्य के ख्रीस्तीय नेताओं ने कहा कि निर्णय सही नहीं है क्योंकि घटना के समय सातों अपने परिवार के साथ थे तथा उन्हें बंदूक चलाने का ज्ञान भी नहीं है।
ईसाई विरोधी हिंसा के शिकार लोगों की मदद कर रहे वकील फादर दिबाकर पारिच्छा ने कहा कि 7 निर्दोष ख्रीस्तीयों के लिए उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी क्योंकि ज़िला अदालत उन्हें दोषी साबित नहीं कर पायी है।
ज्ञात हो कि सरस्वती के हत्या के बाद एक माओवादी दल ने हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी और उन्होंने हत्या का कारण उस हिन्दू नेता द्वारा समाज में अव्यवस्था लाना बताया था, इसके बावजूद 8 लोगों को, जो इस मामले में पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे निर्दोष साबित होने पर भी बरी नहीं किया गया था।
वकील फादर दिबाकर पारिच्छा ने कहा, "हमने उनकी रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय में मामला दर्ज कराया था किन्तु उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में मामले की जाँच हो जाने पर ही केस पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने आशा दिलायी है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामलों की जाँच कर सही निर्णय देगा।
विदित हो कि नेता सरस्वती एवं उनके सहयोगियों की हत्या के बाद ही हिन्दू चरम पंथीयों ने हत्या का आरोप स्थानीय ख्रीस्तीयों पर मढ़कर ईसाई विरोधी हिंसक दंगों को अंजाम दिया था।










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