वाटिकन सिटीः धर्मशिक्षकों के लिये अर्पित ख्रीस्तयाग पर सन्त पापा का प्रवचन
वाटिकन सिटी, 30 सितम्बर सन् 2013 (सेदोक वी.आर.): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, रविवार, 29 सितम्बर को, अन्तरराष्ट्रीय धर्मशिक्षक दिवस के उपलक्ष्य
में सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया। काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित
विश्वास वर्ष के उपलक्ष्य में नवीन सुसमाचार उदघोषणा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा
धर्मशिक्षकों का अन्तरराष्ट्रीय दिवस आयोजित किया गया था जिसके लिये विश्व के लगभग 2000
धर्मशिक्षक विगत दिनों रोम में थे। ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने
भौतिकतावाद के प्रति सचेत कराया तथा कहा कि "जब जब भौतिक वस्तुएँ, धन सम्पदा तथा सांसारिक
सुख-वैभव हमारे जीवन का केन्द्र बनते हैं तब तब वे हमारे जीवन तथा हमारी मानवीय पहचान
को ही भ्रष्ट कर देते हैं।" सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्त के अनुयायियों को निरन्तर
भौतिकतावाद के ख़तरों के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि केवल स्वतः की
सुख सुविधाओं के प्रयास में व्यक्ति स्वार्थी एवं अहंकारी हो जाता है तथा अन्यों की ज़रूरतों
के प्रति उसमें संवेदनशीलता समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा, "विश्राम, भोग विलास तथा
सांसारिक एवं भौतिक वस्तुओं में सुरक्षा खोजने से व्यक्ति अपना मानवीय चेहरा खो देता
है।" सन्त पापा ने कहा, "मानव प्राणी की सृष्टि ईशप्रतिरूप में हुई है भौतिक वस्तुओं
के प्रतिरूप में उसकी सृष्टि नहीं हुई।" उन्होंने कहा कि भौतिक वस्तुओं की आसक्ति
हमें "ईश्वर की स्मृति को भुल जाने" तक ले जा सकती है जिससे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी सुसमाचार
के उस धनी युवक की तरह खाली और खोखला हो जाता है जो अपनी धन सम्पत्ति के मोह के कारण
प्रभु का अनुसरण न कर सका। सन्त पापा ने काथलिक विश्वासियों से आग्रह किया कि वे
अपने जीवन में मरियम के सदृश ही ईश्वर की स्मृति को जीवित रखें ताकि स्वार्थ एवं अपने
आपमें संकुचित हो जाने के प्रलोभन से बच सकें। मरियम के समान अपने गौरव के बजाय हम सब
प्रभु ईश्वर की महिमा खोजें।