भौतिक वस्तुएँ हमें लूट लेते और हमारी पहचान मिटा देते हैं
वाटिकन सिटी, सोमवार, 30 सितम्बर 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्रांगण में, रविवार 29 सितम्बर को, अंतरराष्ट्रीय धर्मशिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में
संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग के दौरान उपदेश में उन्होंने
नबी आमोस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन प्रस्तुत किया, जहाँ नबी आमोस धनी लोगों को
धिक्कारते हुए कहते हैं, "धिक्कार उन लोगों को जो सिय्योन में भोग-विलास का जीवन बिताते
हैं। वे हाथी दाँत के पलंगों पर सोते और आराम कुर्सियों पर पैर फैलाये पड़े रहते हैं।"(आमोस
6:1,4) संत पापा ने कहा, "नबी आमोस ने ये कठोर बात अपने समय के धनी लोगों से कहा है
किन्तु ये आज हमें सचेत कर रहे हैं कि हम भी उन खतरों में न पड़ें।" संत पापा ने
प्रश्न करते हुए कहा, "क्या कारण है जिसके लिए ईश्वर के संदेश वाहक ने लोगों को फटकारा
हैं? वे लोगों से क्या कहना चाहते थे? आज ये वचन हमें क्या कह रहे हैं? संत पापा ने खुद
प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, नबी ने उन्हें फटकारा क्योंकि उन्होंने शान-शौकत, आराम
एवं सांसारिक जीवन को अपनी जीवन-शैली बना ली थी एवं खुद की सुख-सुविधा को ही प्रमुख स्थान
दिया था। आज हम भी इस प्रकार के ख़तरे में पड़ सकते हैं। सुसमाचार में वर्णित धनी व्यक्ति
की यही स्थिति थी, जो मखमल कपड़े पहन कर दावतें उड़ाया करता था, यही उसके जीवन का प्रमुख
कार्य था। दूसरी ओर गरीब व्यक्ति जो उसके दरवाजे पर पडा रहता था जिसे अपनी भूख मिटाने
तक के लिए कुछ नहीं थी। धनी व्यक्ति ने उसकी ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया। संत पापा ने
कहा, "जब भौतिक वस्तुएँ, धन -दौलत एवं सांसारिकता हमारे जीवन के केंद्र बन जाते हैं,
तब वे हमें अपने कब्जे में कर लेते तथा हम पर शासन करते हैं। इस प्रकार मानव रुप में
हम अपनी पहचान खो बैठते हैं। सुसमाचार में उस धनी व्यक्ति का कोई नाम नहीं है वह मात्र
‘एक धनी व्यक्ति’ रह गया है। भौतिक वस्तुएँ एवं धन-सम्पति ही उसके चेहरे हैं इसके सिवा
उसके पास कुछ नहीं है।" संत पापा ने कहा, ऐसा क्यों होता है, किस प्रकार लोग एवं
हम स्वयं इसमें पड़कर आत्म-केंद्रित हो जाते एवं भौतिक वस्तुओं को ही अपनी सुरक्षा समझते
बैठते हैं? जो हमें लूट लेते और हमारी पहचान मिटा देते हैं। संत पापा ने समझाते हुए
कहा कि ऐसा तब होता है जब हम आत्म संतुष्ट होकर ईश्वर को भूल जाते हैं। नबी के धिक्कारने
का अर्थ यदि है। यदि हम ईश्वर की याद नहीं करते तब सब कुछ व्यर्थ चला जाता है तथा मात्र
मैं और मेरा सुख-चैन रह जाता है। जीवन, संसार एवं अन्य सब कुछ अवास्तविक लगने लगता है
तथा किसी चीज का कोई खास अर्थ नहीं रह जाता है। जीवन का सिर्फ एक ही मकसद रह जाता है
पाना। जब हम ईश्वर की याद नहीं करते, हम भी सच्चे नहीं रह जाते, हम खाली हो जाते तथा
हमारा अस्तित्व ही खत्म हो जाता है जैसा कि दूसरे महान नबी येरेमियह कहते हैं कि हम ईश्वर
के प्रतिरूप में बनाये गये हैं न कि सांसारिक वस्तुओं एवं देव मूर्तियों के प्रतिरूप
में। संत पापा ने कहा, "धर्मशिक्षक कौन हैं? धर्मशिक्षक वे हैं जो ईश्वर की याद को
जीवन्त बनाये रखते, धर्मशिक्षा को खुद जीते एवं दूसरों के लिए सजीव उदाहरण प्रस्तुत करते
हैं। माता मरिया के समान ईश्वर की याद करना अति सुन्दर है जिन्होंने ईश्वर के महान कार्य
को अपने जीवन में हरदम अनुभव किया। उन्होंने अपने के सम्मान, यश एवं सम्पति की तनिक भी
चिंता नहीं की। वे खुद में सिमट कर नहीं रहीं। बल्कि ईश्वर के पुत्र को धारण करने के
दूत संदेश को प्राप्त कर अपनी रिश्तेदार एलिजबेथ की मदद करने निकल पड़ीं। जब वे एलिजाबेथ
से मिलीं तो सर्वप्रथम उन्होंने अपने जीवन में ईश्वर के महान कार्य को याद ही किया।
मरिया गुणगान में उनके जीवन, ईश्वर के साथ उनका संबंध एवं उनके विश्वास अनुभव के
इतिहास निहित है। यह हमारे तथा सभी ख्रीस्तीयों के लिए भी यर्थाथ है कि विश्वास में ही
ईश्वर के साथ हमारे संबंध के इतिहास की याद निहित है, ईश्वर के साथ हमारी मुलाकात की
याद, जिसमें हरदम वे पहला कदम लेते हैं, वे हमारी सृष्टि करते, बचाते एवं हमें बदल देते
हैं। विश्वास उन बातों की याद है जो हमारे हृदय को उष्मता प्रदान करती है, हमें शुद्ध
करती, हमारी रक्षा करती तथा हमें भोजन देती है। संत पापा ने काथलिक विश्वासियों से
आग्रह किया कि वे अपने जीवन में मरियम के सदृश ही ईश्वर की स्मृति को जीवित रखें ताकि
स्वार्थ एवं अपने आप में संकुचित हो जाने के प्रलोभन से बच सकें। मरियम के समान अपने
गौरव के बजाय हम सब प्रभु ईश्वर की महिमा खोजें। ख्रीस्तयाग के उपरांत संत पापा ने
विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने
विश्वासियों को संबोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, मैं आपका अभिवादन करते
हुए आपकी सहभागिता के लिए धन्यवाद देता हूँ। विशेषकर, विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये
सभी धर्म शिक्षकों को। अन्ताकिया के यूनानी ऑथॉडोक्स कलीसिया के महाधर्माध्यक्ष महामहिम
योहान्ना एक्स, एवं ऑरियन्टल के सभी विश्वासियों का अभिवादन करता हूँ। उनकी उपस्थिति
हमें सीरिया एवं मध्य पूर्व में शान्ति हेतु पुनः प्रार्थना करने का निमंत्रण दे रही
है। मैं असीसी के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ। संत पापा ने स्पानी
भाषा में निकारागुवा के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, मैं निकारागुवा
के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ तथा इस प्यारे देश के महाधर्माध्यक्ष एवं
सभी विश्वासियों की याद करता हूँ जो स्थानीय कलीसिया की स्थापना की जयंन्ती बड़े उत्साह
एवं आनन्द के साथ मना रहे हैं। हम आनन्द के साथ धन्य मिरोस्लाव बुलेसिक की याद
करते हैं जो एक धर्म प्रांतीय पुरोहित थे तथा सन् 1947 ई. में शहीद हो गये थे। उनके विश्वास
की साक्ष्य के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद दें तथा देवदूत प्रार्थना के माध्यम से माता मरिया
के पास आयें। इतना कहने के बाद उन्होंने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ
किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।