वाटिकन सिटीः विश्वास के प्रशिक्षण में धर्मशिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण
वाटिकन सिटी, 28 सितम्बर सन् 2013 (सेदोक वी.आर.): सन्त पापा फ्राँसिस ने, शुक्रवार को
वाटिकन में लगभग 2000 ख्रीस्तीय धर्मशिक्षक का साक्षात्कार कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
विगत दिनों रोम में धर्मशिक्षकों का अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ। कलीसिया
को अर्पित धर्मशिक्षकों की सेवाओं के लिये सन्त पापा ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा उन्हें
विश्वास की शिक्षा का आधार निरूपित किया। सन्त पापा ने धर्मशिक्षकों को स्मरण दिलाया
कि वे ख़ुद एक धर्मशिक्षक हैं तथा धर्मशिक्षक होना ख्रीस्त से आरम्भ होता है। उन्होंने
कहा, "ख्रीस्त के अनुयायी के लिये पहली बात अपने प्रभु और गुरु के साथ होना, उनकी बातों
को सुनकर उनका वरण करना तथा उनके आदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करना है।" सन्त
पापा ने कहा कि सबके लिये और, विशेष रूप से, विवाहित लोगों के लिये इस प्रकार के क्षणों
को पाना कठिन है तथापि, विविध प्रकार की आध्यात्मिकता एवं सेवा के तरीके हैं इसलिये यह
आवश्यक है कि ख्रीस्तानुयायी अपने अनुकूल प्रभु के संग रहने तथा उनके साथ साथ चलने का
मार्ग खोजे। सन्त पापा फ्राँसिस ने इस अवसर पर सेवा एवं अन्यों के प्रति एकात्मता
पर भी बल दिया तथा कहा कि धर्मशिक्षकों का दायित्व है कि वे प्रभु येसु ख्रीस्त का अनुसरण
करते हुए अन्यों के प्रति एकात्म एवं उदार रहें। उन्होंने कहा, "यह अति सुन्दर है कि
आप अपने जीवन का केन्द्र येसु को बनायें, तथापि, यह कभी-कभी विवाद उत्पन्न कर सकता है
इसलिये कि जब हम येसु को अपने जीवन का केन्द्र बनाते हैं तब हम अपने जीवन और अपने हितों
का परित्याग करते तथा अन्यों के प्रति उदार बनने के लिये प्रेरित होते हैं।" उन्होंने
कहा कि इस प्रकार धर्मशिक्षकों का जीवन येसु पर तथा ज़रूरतमन्दों की सहायता के प्रति
समर्पित रहता है और यही उनकी जीवन शक्ति है। सन्त पापा ने कहा, "येसु यह नहीं कहते
कि जाओ, यह करो अथवा वह करो, बल्कि वे कहते हैं "जाओ मैं तुम्हारे साथ हूँ।"