2013-09-25 11:43:48

संत पापा की धर्मशिक्षा, 25 सितंबर, 2013


वाटिकन सिटी, बुधवार 25 सितंबर, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज मैं बुधवारीय धर्मशिक्षामाला मैं ‘कलीसिया एक है’ पर चिन्तन प्रस्तुत करना चाहता हूँ। जब विश्वास की घोषणा करते हैं तब हम कहते हैं कि ‘कलीसिया एक है’।

जब हम विश्वव्यापी कलीसिया की समृद्ध विशिष्टताओं भाषा, संस्कृति और इसके लोगों पर विचार करते हैं तो हम पाते हैं कि इसमें जो एकता है वह ईश्वर प्रदत्त वरदान है। और इसकी नींव है हमारा बपतिस्मा एवं एक संस्कारीय जीवन में हमारा विश्वास।

किसी बड़े परिवार के समान हम प्रभु येसु ख्रीस्त में भाई-बहन बन गये हैं चाहे हम विश्व के किसी कोने में ही क्यों न निवास करतें हो।

आज हम अपने आप से प्रश्न कर सकते हैं कि अपने रोजमर्रा की ज़िन्दगी में और विशेष करके अपनी प्रार्थनाओं में कलीसिया के साथ अपनी एकता और सहभागिता को हम कितना सराहते हैं।

विश्व में एकता, मेल-मिलाप और शांतिमय जीवन की ईश्वरीय योजना के पूर्ण होने के लिये आज दुनिया को हमारी साक्ष्य की ज़रूरत है।

आइये हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे ईसाइयों को कृपा दें ताकि वे विभाजन तथा तनावों से मुक्ति प्राप्त करें और जैसे प्रेरित संत पौल कहते हैं इस बात का प्रयास करें कि पवित्र आत्मा की मदद से शांति और एकता को बरकरार रख सकें।

इसके साथ ही अनेकता में एकता की उस समृद्धि का आनन्द पा सकें जिसे वही पवित्र आत्मा हमें देते हैं।


इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने टोकियो की सोफिया यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों, वेनेरेबल इंगलिश कॉलेज के धर्मबंधुओं, पोन्तिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज में ईशशास्त्र की पढ़ाई करने वालों तथा कोलोम्बो महाधर्मप्राँत के पुरोहितों का अभिवादन किया।

इसके बाद संत पापा ने भारत, श्रीलंका, वियेतनाम, चीन, जापान, उत्तरी कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उगाँडा, इंगलैंड, नोर्वे, स्वीडेन, कनाडा, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।







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