2013-09-23 12:57:51

कालियारीः बोनारिया मरियम तीर्थ पर सन्त पापा ने आशा को बरकरार रखने का दिया सन्देश


कालियारी, 23 सितम्बर, सन् 2013 (सेदोक): श्रोताओ, सन्त पापा फ्राँसिस ने रविवार, 22 सितम्बर को इटली के सारदिनिया द्वीप की एक दिवसीय यात्रा की। यात्रा के दौरान उन्होंने कालियारी में बोनारिया माँ मरियम को समर्पित महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र लगभग तीन लाख नागरिकों, एवं तीर्थयात्रियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
रविवारीय ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने ख्रीस्तीयों से आग्रह किया कि कठिनाइयों के बावजूद वे आशा का परित्याग न करें।
बोनारिया मरियम तीर्थ पर अपना प्रवचन सन्त पापा ने इन शब्दों से आरम्भ किया। उन्होंने कहा "आज मेरी वह इच्छा पूरी हो रही है जिसकी घोषणा मैंने ग्रीष्मकाल से पूर्व रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में की थी, वह थी, बोनारिया की रानी मरियम तीर्थ के दर्शन।
मैं आपके आनन्द और आपकी आशा, आपकी थकावट एवं आपके प्रयास तथा आपके द्वीप के आदर्शों एवं आकांक्षाओं में भागीदार बनने और साथ ही आपको विश्वास में सुदृढ़ करने आया हूँ। सम्पूर्ण सारदेनिया द्वीप के समान ही, यहाँ कालियारी में भी, कठिनाइयों की कमी नहीं है, कई परेशानियाँ एवं कई समस्याएँ हैं: विशेष रूप से, मैं रोज़गार के अभाव एवं उसकी अस्थायी स्थिति के बारे में सोच रहा हूँ जो भविष्य की अनिश्चित्तता उत्पन्न करती है। आपका सुन्दर प्रान्त सारदेनिया, एक अलग द्वीप होने के नाते बहुत समय से निर्धनता की पीड़ा सह रहा है। इस स्थिति को बदलने के लिये सबके सहयोग की नितान्त आवश्यकता है, सरकार एवं सरकारी संस्थाओं की और साथ कलीसिया की भी ताकि लोगों और परिवारों को उनके मूलभूत अधिकारों का आश्वासन दिया जा सके तथा भ्रातृत्व एवं एकात्मता से पूर्ण समाज का विकास हो सके।" उन्होंने कहा ............रोज़गार के अधिकार का आश्वासन मिले, रोज़गार से कमाई गई रोटी घर पर लाने के अधिकार का आश्वासन मिले। मैं आपके समीप हूँ, आपके क़रीब हूँ, आपको प्रार्थना में याद करता हूँ तथा प्रोत्साहन देता हूँ कि आप इस धरती और इसकी जनता के विश्वास एवं इतिहास में जड़ीभूत मानवीय एवं ख्रीस्तीय मूल्यों को बरकरार रखें तथा उनका साक्ष्य प्रदान करें। आशा के दीप को आप सदैव प्रज्वलित रखें।"
सन्त पापा ने आगे कहा, "आपके बीच मैं आया हूँ ताकि आपके साथ मिलकर मैं भी मरियम के चरणों में शीश नवा सकूँ, जिन्होंने अपने पुत्र को हमारे लिये अर्पित कर दिया। मैं भलीभाँति जानता हूँ कि मरियम, हमारी माता आपके हृदय में समाहित हैं जैसा कि यह तीर्थ साक्ष्य दे रहा है, जहाँ, इस द्वीप की महासंरक्षिका, बोनारिया की रानी माँ मरियम के संरक्षण की पुकार लगाने सारदेनिया की कई पीढ़ियाँ आरोहित हुई हैं तथा अभी आरोहित हो रही हैं। यहाँ आकर आप इस धरती, यहाँ के परिवारों तथा यहाँ की उन सन्तानों के सुख दुख को लेकर आते हैं जो गहन दुख एवं पीड़ा के बावजूद रोज़गार ढूँढ़ने तथा अपने प्रिय परिवारों के बेहतर भविष्य के लिये बाहर चले गई हैं। आज हम सब मिलकर मरियम को धन्यवाद दें जो सदैव हमारे निकट रहती हैं, उन्हीं में हम अपने विश्वास एवं प्रेम को नवीकृत करना चाहते हैं।"
सन्त पापा ने आगे कहा...."आज जिस पाठ का हमने श्रवण किया वह अन्तिम भोजन कक्ष में मरियम को, पवित्रआत्मा के अवतरण की प्रतीक्षा करते, प्रेरितों के संग प्रार्थना में लीन दर्शाता है। मरियम प्रेरितों के समुदाय के संग प्रार्थना करती तथा हमें ईश्वर में पूर्ण भरोसा रखना सिखाती हैं। यही प्रार्थना की शक्ति है। मरियम की मध्यस्थता द्वारा हम अपने सम्पूर्ण जीवन को ईश्वर तक ले जायें, प्रतिदिन ईश्वर का दरवाज़े खटखटायें।"
दूसरी ओर, उन्होंने कहा, "आज के सुसमाचार पाठ में मरियम के प्रति येसु की अन्तिम दृष्टि की ओर हमारा ध्यान जाता है। क्रूस से येसु मरियम को निहारते और योहन को उनके सिपुर्द करते हुए कहते हैं: " यह तेरा पुत्र है।" योहन में हम सब शामिल हैं, हमें भी येसु ने मरियम के सिपुर्द किया है।"
सन्त पापा ने कहा, "आज हम सब मरियम से मिलने के लिये यहाँ एकत्र हैं क्योंकि मरियम में पिता ईश्वर की दृष्टि तथा क्रूसित येसु की दृष्टि दोनों समाहित हैं। आज मरियम से हम प्रार्थना करें ताकि वे अपनी ममतामयी दृष्टि सदैव हम पर बनाये रखें।"
सन्त पापा ने कहा, "जीवन पथ पर अग्रसर हमारी तीर्थयात्रा प्रायः कठिन होती है तथापि, हम अकेले नहीं हैं, हम बहुत से जन हैं, सम्पूर्ण समुदाय हैं जिनपर मरियम अपनी दया दृष्टि बनाये हुए है। मरियम की प्रेममयी दृष्टि हमें एक दूसरे को भ्रातृत्व भाव से देखना सिखाती है। मरियम हमें वह दृष्टि रखना सिखाती हैं जो अन्यों का स्वागत करने, उनके संग संग चलने तथा उनकी रक्षा करने की खोज में लगी रहती है। ऐसे भी लोग हैं जो ज़रूरतमन्दों की ज़रा भी परवाह नहीं करते जैसे परित्यक्त लोगों, बीमारों, जीवन के सुख साधन से वंचित लोगों, येसु को न जानने वाले लोगों, कठिन परिस्थितियों से घिरे युवाओं तथा बेरोज़गारों, इन सभी को हम माँ मरियम के ममतामयी दृष्टि के अधीन करें। अपने भाइयों एवं बहनों को मरियम की दृष्टि से देखने में हमन न घबरायें, यथार्थ भाई बहन होने के लिये मरियम हमें आमंत्रित करती हैं।"
सन्त पापा ने अन्त में प्रार्थना की, ...... माँ मरियम, अपनी दया दृष्टि हम पर बनायें रखें। मरियम की दृष्टि हमसे कोई छिपा न पाये। पुत्र सुलभ हमारे हृदय इस दृष्टि को हर प्रलोभन से सुरक्षित रखे। उन लोगों से इसे बचाये रखे जो जीवन को मायामोह एवं लालच की दृष्टि से देखते हैं तथा उन चीज़ों की आकांक्षा रखते हैं जो कभी पूरी नहीं हो सकतीं। ऐसे लोग हमसे ममता और दया से परिपूर्ण मरियम की दृष्टि न छीन पायें क्योंकि यह हमारे लिये अनवरत शक्ति का स्रोत है तथा हमें एक दूसरे के प्रति एकात्म बनाती है। एक साथ मिलकर हम बोलें: "माँ, हमें अपनी दृष्टि का वरदान दे। हम पर अपनी दयादृष्टि सदैव बनाये रख।"
इतना कहकर सन्त पापा ने ख्रीस्तयाग प्रवचन समाप्त किया। ख्रीस्तय़ाग के उपरान्त उन्होंने सम्पूर्ण भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व उन्होंने सारदेनिया द्वीप के धर्माध्यक्षों, सरकारी अधिकारियों, यात्रा के प्रबन्धकों तथा सम्पूर्ण जनता के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया तथा सभी को बेनारिया माँ मरियम के संरक्षण के सिपुर्द किया। सारदेनिया द्वीप के अनेक मरियम तीर्थों के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा......... "मरियम के साथ आपकी धरती का विशेष सम्बन्ध है और यह सम्बन्ध आपकी मरियम भक्ति एवं आपकी संस्कृति में सप्ष्टतः झलकता है। आप सदैव मरियम तथा कलीसिया की यथार्थ सन्तानें बने रहें, सन्तों के पदचिन्हों पर चलकर आप अपने जीवन उदाहरण से इसका साक्ष्य प्रदान करें।"
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा ने सब पर प्रभु की शान्ति का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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