वाटिकन सिटी, शनिवार 21 सितम्बर 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने कहा धन व्यक्ति
को भ्रष्ट करता और धन की पूजा मानव को ईश्वर से दूर कर देता और उसके विचार एवं विश्वास
को कमजोर कर देता है।
उक्त बात संत पापा ने उस समय कही जब उन्होंने वाटिकन सिटी
में स्थित सान्ता मार्था निवास के प्रार्थनालय में शुक्रवार प्रातः 20 सितंबर को यूखरिस्तीय
बलिदान चढ़ाया।
संत पापा ने अपने प्रवचन में प्रेरित संत पौल द्वारा तिमोथी को
लिखे प्रथम पत्र में वर्णित लालच और धन विषय पर चिन्तन प्रस्तुत कर रहे थे।
संत
पापा ने कहा कि हम दो मालिकों – ईश्वर और धन की सेवा कदापि नहीं कर सकते हैं। उन्होंने
उपस्थित लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि धन के प्रति मोह ही सब बुराइयों की जड़ है।
उन्होंने कहा कि धन हमारे दिमाग को बीमार करते, हमारे विचारों में विष घोलते,
कई बार तो हमारे विश्वास को भी कमजोर कर देते और हम ईर्ष्या, कलह, संदेह तथा झगड़ों के
शिकार हो जाते हैं।
वैसे तो धन हमारी समृद्धि का चिह्न हैं पर अगर हम सावधान
नहीं रहे तो यह हमें जल्द ही हमें विनाश के पथ पर ले चलता है। हम घमंडी बनते, स्वार्थी
बनते या निस्सारता के शिकार हो जाते हैं।
संत पापा ने कहा कि कई लोग सोचते है
कि ईश्वर के दस नियम धन की बुराई के बारे में कुछ निर्देश नहीं देता है। ऐसा नहीं है,
जब हम धन की पूजा करते हैं तो हम ईश्वर के दस नियम के पहले नियम के विरुद्ध चलते हैं।
हम ईश्वर की जगह में धन की पूजा करते हैं।
आरंभिक धर्माचार्यों ने इस संबंध में
और ही कड़े आदेश दिये थे। उनके अनुसार धन-दौलत तो शैतान की लीद हैं जो हमें विश्वास
से दूर कर देता है।
संत पापा ने लोगों से आग्रह किया कि वे धन पर अपना ध्यान
केन्द्रित करने के बदले न्याय, धार्मिकता, विश्वास, प्रेम, धैर्य और विनम्रता जैसे गुणों
करें उन्हें ईश्वर तक पहुँचाते हैं।
संत पापा ने प्रार्थना की ताकि प्रत्येक
जन धन की पूजा करने से बचे और ईश्वर के करीब रहे।