वाटिकन सिटीः नये धर्माध्यक्षों से खटखटानेवालों के स्वागत का आग्रह
वाटिकन सिटी, 19 सितम्बर सन् 2013 (सेदोक): वाटिकन में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस
ने नये धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया। इस अवसर पर सन्त पापा ने
धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे सहायता की पुकार लगानेवाले हर व्यक्ति का स्वागत करें।
सन् 2013 के दौरान नियुक्त धर्माध्यक्षों का सम्मेलन विगत दिनों वाटिकन में जारी
था जिसका समापन गुरुवार, 19 सितम्बर को हुआ। प्रतिवर्ष विश्व के नवनियुक्त धर्माध्यक्षों
का सम्मेलन आयोजित किया जाता है ताकि उन्हें रोमी कार्यालय तथा परमधर्मपीठीय परिषदों
की गतिविधियों से परिचित कराया जा सके। इस वर्ष नये धर्माध्यक्षों के सम्मेलन में 26
धर्माध्यक्ष उपस्थित हुए जिनमें लातीनी एवं पूर्वी दोनों रीतियों के धर्माध्यक्ष शामिल
हैं। धर्माध्यक्षों को दिये अपने सन्देश में सन्त पापा ने कहा कि धर्माध्यक्ष अपने
लोगों एवं समुदायों के मेषपाल हैं जिनकी हर सम्भव मदद करना उनका दायित्व है। मेषपाल होने
का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा ने कहा कि इसका अर्थ है, उदारतापूर्वक स्वागत करना, अपने
चरागाह के संग-संग चलना तथा चरागाह के साथ रहना। उन्होंने कहा, "आपका हृदय सदैव उदार
रहे ताकि आप खटखटानेवाले सभी पुरुषों एवं स्त्रियों का स्वागत करें इसलिये कि आपके स्वागत
के कारण ही लोग ईश प्रेम का अनुभव कर सकेंगे तथा यह समझ पायेंगे कि कलीसिया एक भली माँ
है जो स्नेहवश सभी का स्वागत करती है।" सन्त पापा ने कहा, "स्वागत करना तथा संग संग
चलना धर्माध्यक्ष का दायित्व है।" उन्होंने कहा कि संग संग चलने का अर्थ है, "अपने लोगों
के सुख-दुख में शामिल होना तथा उनकी सहायता का हर सम्भव प्रयास करना क्योंकि जैसा कि
सन्त अगस्टीन कहा करते थे: हमारी सेवा प्रेम की सेवा है।" धर्माध्यक्षों से सन्त पापा
ने कहा कि अपने समुदायों की प्रेरितिक देखरेख के साथ साथ पुरोहितों की देखरेख धर्माध्यक्ष
का दायित्व है क्योंकि वे ही धर्माध्यक्ष के प्रथम सहयोगी हैं। पुरोहितों के पिता, भाई
एवं मित्र होने का सन्त पापा ने धर्माध्यक्षों को परामर्श दिया तथा कहा कि धर्माध्यक्ष
को यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन के अतिरिक्त पुरोहितों की मानवीय
आवश्यकताएँ भी होती हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।