बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा की धर्मशिक्षा, 18 सितंबर, 2013
वाटिकन सिटी, बुधवार 18 सितंबर, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज मैं बुधवारीय धर्मशिक्षामाला
में ‘कलीसिया - हमारी माता’ विषय पर चिन्तन प्रस्तुत करते हुए हमारी माताओं आपका ध्यान
खीँचना चाहता हूँ। हमारी मातायें, जो अपनी संतान को जीवन देतीं, उनके लिये दुःख उठातीं
और अपना जीवन समर्पित कर देतीं हैं।
माताएँ हमें अपना असीम प्रेम दिखलातीं और
हमें सुमार्ग दिखातीं ताकि हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें। माता कलीसिया भी हमें जीवन
के पथ दिखलाती ताकि हम मजबूत ख्रीस्तीय बन सकें।
दूसरी बात, हमारी मातायें जानतीं
हैं कि हमारे जीवन को पूरी समझदारी के साथ कैसा साथ देना है और विशेष कर ऐसे समय में
जब हम राह से भटक जाते हैं तो हमें कैसे वापस ले आना है। माता कलीसिया भी दया से पूर्ण
होकर पूरी समझदारी के साथ, हमारा साथ देती, और बिना नुकताचीनी किये हमारे लिये दरवाज़ा
खुला रखती है। माता कलीसिया हमें क्षमा प्रदान करती और सही मार्ग में लौटने में हमारी
मदद करती है।
तीसरी बात, यद्यपि हम कई बार गलतियों में गिर जाते हैं, हमारी मातायें
हमारे लिये प्रार्थना करते हुए कभी भी ऊब नहीं जातीं। माता कलीसिया भी सदा हमारा साथ
देती, हमारे लिये प्रार्थना करती और हमारी समस्याओं और ज़रूरतों को ईश्वर को सौंप देती
है। इस तरह हम पाते हैं कि माता कलीसिया एक अच्छी माँ की तरह हमें सुमार्ग पर चलना
सिखाती, धैर्यपूर्वक हमारा साथ देती तथा दया एवं समझदारी के साथ हमें ईश्वर के हाथों
में सौंप देती।
इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने
वियेतनाम सरकार के धार्मिक बातों के लिये बनी अन्तर विभागीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों
का अभिवादन किया। तब भारत, इंगलैंड, नोर्वे, स्वीडेन, कनाडा, अमेरिका और देश-विदेश के
तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा
प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।