करुणा वह सच्ची शक्ति है जो व्यक्ति एवं संसार को पाप रूपी कैंसर से बचा सकती है
वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 सितम्बर 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्रांगण में, रविवार 15 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित कर
कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आज की पावन धर्मविधि में हम संत
लूकस रचित सुसमाचार के 15वें अध्याय से, करुणा पर आधारित तीन दृष्टांतों: खोयी हुई भेड़,
खोया हुआ सिक्का एवं संत लुकस के सबसे ख़ास एवं लम्बे दृष्टांत ‘उड़ाऊ पुत्र’ की कहानी
को पढ़ते हैं। ये तीनों दृष्टांत ईश्वर के आनन्द के विषय में बोलते है। ईश्वर आनंद से
परिपूर्ण हैं, यह हमारे लिए रुचिकर बात है।" संत पापा ने प्रश्न किया, "ईश्वर का आनन्द
क्या है?" प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, "ईश्वर का आनन्द है क्षमादान। उनका आनन्द
ठीक उसी तरह है जिस प्रकार एक चरवाहा अपनी खोयी हुए भेड़ को पुनः पा लेता है, उस महिला
के समान जो अपने खोये सिक्के को पाती है एवं उस पिता के समान जिसका खोया हुआ पुत्र घर
वापस आता है, मानो मरा हुआ पुत्र फिर जी गया हो। इसी में सम्पूर्ण सुसमाचार निहित है
और जहाँ सुसमाचार है वहीं ख्रीस्तीयता भी। देखिए, यह कोई भाव या कोई नेक काम करना नहीं
है। इसके विपरीत, करुणा वह सच्ची शक्ति है जो व्यक्ति एवं संसार को पाप, बुराई एवं अनैतिकता
रूपी कैंसर रोग से बचा सकती है। हर प्रकार के खोखलेपन, नकारात्मक विचारों की खाई, दिल
की बुरी भावनाएँ एवं विचार को सिर्फ प्यार ही ठीक कर सकता है। यही ईश्वर का आनन्द है।"
येसु परम दयालु हैं एवं अत्यंत प्रेममय ईश्वर जिन्होंने मानव रुप धारण किया।
हम में से प्रत्येक एक खोयी भेड़, खोया हुआ सिक्का एवं उड़ाऊ पुत्र हैं जिस ने अपनी स्वतंत्रता
का दुरुपयोग झूठी देव मूर्तियों एवं काल्पनिक खुशी के पीछे किया है। हम सब कुछ खो चुके
हैं किन्तु ईश्वर हमें नहीं भूलते। पिता हमें कभी नहीं छोड़ते हैं। ईश्वर हमारी स्वतंत्रता
का कद्र करते हैं एवं विश्वस्त बने रहते हैं। जब हम उनके पास लौटते हैं तब वे हमें अपने
ही पुत्र के समान अपने घर में स्वीकार करते हैं क्योंकि प्यार से इन्तज़ार करने में उन्हें
एक क्षण के लिए भी कोई नहीं रोक सकता। इस प्रकार उनका हृदय अपने प्रत्येक बच्चे की वापसी
पर आनन्द से भर जाता है। ईश्वर आनन्दित होते हैं जब हम पापी उनके पास आते एवं क्षमा माँगते
है।
संत पापा ने सचेत करते हुए कहा कि यहाँ एक बात का भय है? भय इस बात का है
कि हम अपने आप को अच्छा समझकर अन्यों का न्याय करने लगते हैं। इस प्रकार हम ईश्वर का
भी न्याय करते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि वे पापियों का न्याय करें, उन्हें क्षमा के
बदले मृत्यु दण्ड दें। जी हाँ, हम पिता ईश्वर के घर से बाहर रहने के ख़तरे में हैं, जैसा
कि दृष्टांत में बड़ा भाई, अपने छोटे भाई की घर वापसी पर खुशी मनाने के बजाय, पिता द्वारा
उसे स्वीकारे जाने एवं उसके लिए आनन्द मनाने के कारण नाराज था। संत पापा ने कहा, "यदि
हमारे हृदय में दया एवं क्षमा करने का आनन्द नहीं है तो सभी नियमों का पालन करने के बावजूद
हम ईश्वर के साथ नहीं हैं क्योंकि, प्यार ही बचाता है सिर्फ नियमों का पालन नहीं। ईश्वर
के प्रति प्रेम एवं पड़ोसी के प्रति प्रेम सभी आज्ञाओं को पूर्ण कर देता है। यही है ईश्वर
का प्यार, उनके क्षमा करने का आनन्द, जिसके लिए वे हमेशा हमारा इन्तज़ार करते हैं।
यदि
हम दूसरे पाठ के अनुसार "आँख के बदले आँख एवं दाँत के बदले दाँत" के नियम पर चलेंगे तो
हम कभी भी बुरी भावना से बाहर नहीं आ सकेंगे। बुराई अधिक चतुर है जो मानवीय तर्क से हमें
तथा दुनिया को फंसाना चाहती है। वास्तव में, ईश्वरीय न्याय ही हमें बचा सकता है। ईश्वर
की धार्मिकता क्रूस में प्रकट हुई है। क्रूस ही हमारे तथा संसार के लिए ईश्वर का न्याय
है। ईश्वर किस प्रकार न्याय करते हैं? अपना जीवन हमारे लिए अर्पित कर। यही सर्वोच्च न्याय
है जिसके द्वारा उन्होंने एक ही बार एवं हमेशा के लिए दुनिया के नायक को हरा दिया है।
सर्वोच्च न्याय का कृत्य दया का कृत्य है। येसु हम में से प्रत्येक को इस रास्ते पर चलने
के लिए बुलाते हैं। "दयालु बनो जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता दयालु है।" (लूक.6:36) आइये,
हम दया की महारानी माता मरिया से प्रार्थना करें। इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने
भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा उन्हें अपना प्रेरितिक आर्शीवाद
दिया। देवदूत प्रार्थना के समाप्त करने के बाद उन्होंने सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों
को संबोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, अर्जेंटीना में कोरदोबा धर्मप्रांत
के पुरोहित जोसे गाब्रिएल ब्रोकेरो को कल धन्य घोषित किया गया। उनका जन्म सन् 1840 ई.
में एवं निधन सन् 1914 ई. में हुआ था। ख्रीस्त के प्रेम से प्रेरित होकर उन्होंने अपने
लोगों के लिए स्वतः को समर्पित कर दिया ताकि दया एवं आत्माओं के प्रति धर्मोत्साह द्वारा
सबको ईश राज्य तक ले जा सकें। वे लोगों के संग-संग रहे तथा अनेकों को आध्यात्मिक साधना
तक ले जा गये । पर्वतों को पार कर वे लम्बी-लम्बी पैदल यात्रा किया करते थे अंत में वे
अंधे तथा कोढ़ी हो गये किन्तु आनन्द से परिपूर्ण रहे, भले गड़ेरिये के आनन्द से परिपूर्ण,
करूणावान चरवाहे के आनन्द से परिपूर्ण।" आज तुरीन में इटालियन काथलिक सामाजिक सप्ताह
का समापन होगा जिसकी विषय वस्तु है "परिवार, इताली समाज की आशा एवं भविष्य।" मैं इसके
सभी प्रतिभागियों का अभिवादन करता हूँ तथा इटली की कलीसिया में परिवार एवं परिवारों के
उत्तरदायित्व के प्रति समर्पण का आग्रह करता हूँ। यही समाज और देश के लिए बड़ा प्रोत्साहन
है। मैं इसे निरंतर आगे बढ़ाने की शुभकामनाएँ देता हूँ।
अंत में संत पापा ने
सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया तथा रविवार की शुभकामनाएँ अर्पित
की।