2013-09-11 11:47:43

रोम: शरणार्थी एकीकरण के हकदार, सन्त पापा फ्राँसिस


रोम, 11 सितम्बर सन् 2013 (ऊका समाचार): "शरण खोजनेवालों को एकीकरण का पूर्ण अधिकार है इसलिये कि यथार्थ दया जो ईश्वर से आती है न्याय का आह्वान करती तथा इस बात की मांग करती है कि निर्धन ऐसा रास्ता पायें ताकि वे फिर कभी निर्धन न रहें।"
यह बात सन्त पापा फ्राँसिस ने, मंगलवार 10 सितम्बर को रोम स्थित शरणार्थी केन्द्र की भेंट के अवसर पर कही। केन्द्र में सन्त पापा ने शरणार्थियों के अतिरिक्त स्वयंसेवकों एवं वैधानिक परामर्शदाताओं से भी मुलाकात की।
सन्त पापा ने कहा, "करुणा हमसे, कलीसिया से, रोम शहर से तथा सरकार से मांग करती है कि वह शरणार्थियों को प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन का अधिकार प्रदान करे।
रोम में येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित अस्ताल्ली शरणार्थी केन्द्र की सन्त पापा फ्राँसिस ने भेंट कर अपने देश से पलायन के लिये बाध्य शरणार्थियों से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने शरणार्थियों के अधिकारों के सम्मान की पुकार लगाई तथा विशेष रूप से, काथलिक धर्मसमाजों एवं धर्मसंघियों से अनुरोध किया कि समय के संकेतों को पहचान कर वे शरणार्थियों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करें।
उन्होंने कहा, "प्रभु हमारा आह्वान करते हैं कि हम साहस एवं उदारता के साथ अपने घरों, आश्रमों एवं खाली पड़े कॉन्वेन्टों में शरणार्थियों का स्वागत करें।"
उन्होंने कहा, "प्रिय महिला एवं पुरुष धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों, खाली कॉन्वेन्ट जब होटलों में परिणत कर दिये जाते हैं तब वे कलीसिया की सेवा नहीं करते। खाली कॉन्वेन्ट हमारे नहीं हैं; वे शरणार्थियों के हैं जो ख्रीस्त की देह का अंग हैं। अपने खाली आश्रमों में शरणार्थियों का स्वागत एवं उनकी सेवा हेतु प्रभु हमारा आह्वान करते हैं।"
सन्त पापा ने कहा, "सेवा का अर्थ है आगन्तुक का स्वागत करना तथा ज़रूरतमन्द की हर प्रकार से मदद करना, उसके प्रति एकात्मता प्रदर्शित करना।" उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश विश्व के विकसित क्षेत्र एकात्मता शब्द से डरते हैं किन्तु ख्रीस्तीयों के लिये यह शब्द अंह महत्व का है। उन्होंने कहा, "निर्धनों की दुर्बलता एवं उनकी सादगी हमारे स्वार्थ, हमारी मिथ्या निश्चित्तताओं, हमारे दावों एवं हमारी आत्मनिर्भरता को उजागर कर हमें ईश्वर के समीप अग्रसर करती ताकि हमारे जीवन में भी प्रेम की अग्नि प्रज्वलित हो सके।"









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