2013-09-10 12:55:35

प्रेरक मोतीः आल्बी के सन्त सालवियुस (छठवीं शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 10 सितम्बर सन् 2013:

आल्बी के सन्त सालवियुस धर्माध्यक्ष एवं सन्त पापा ग्रेगोरी प्रथम के इष्ट मित्र थे। फ्राँस के आल्बी में उनका जन्म हुआ था जिन्हें साओवे नाम से भी जाना है। पेशे से साल्वियुस एक वकील थे किन्तु सांसारिक जीवन का परित्याग कर उन्होंने मठवासी जीवन का आलिंगन कर लिया था। कुछ समय तक वे मठ के सदस्य रहे किन्तु उनकी निष्ठा एवं योग्यताओं को देखते हुए मठवासियों ने उन्हें मठाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। मठाध्यक्ष रूप में कलीसिया को सेवाएँ अर्पित करने के उपरान्त सालवियुस एकान्त जीवन यापन हेतु एक कुटिया में चले गये जहाँ त्याग-तपस्या एवं प्रार्थना में उन्होंने अपना समय व्यतीत किया।

आल्बी में जब धर्माध्यक्ष का पद रिक्त हुआ तो उन्हें अपना एकान्तवास समाप्त कर आल्बी लौटना पड़ा। सन् 574 ई. में सालवियुस आल्बी के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये तथा सन् 584 ई. तक इस पद पर बने रहे। उनके धर्माध्यक्षीय काल के अन्तिम वर्ष आल्बी में प्लेग का प्रकोप फैला और वे रोगियों की सहायता में जुट गये। इसी प्रेरिताई के दौरान वे ख़ुद भी रोगग्रस्त हो गये तथा उनका निधन हो गया। क़ैदियों को छुड़ाना तथा राजा खिलफेरिक को, पुनः ख्रीस्तीय धर्म की सनातन एवं ईशशास्त्रसम्मत शिक्षाओं के प्रति, अभिमुख करना उनकी उपलब्धियों में प्रमुख हैं। सन् 584 ई. में सन्त सालवियुस का निधन हो गया था, बाद में उन्हें सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया गया। सन्त सालवियुस का पर्व 10 सितम्बर को मनाया जाता है।

चिन्तनः सन्त सालवियुस के पद चिन्हों पर चल सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी ख्रीस्त में अपने विश्वास को सुदृढ़ करें तथा भ्रामक विचारधाराओं के प्रलोभन में न पड़ें।








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