2013-09-09 14:54:34

भक्ति नहीं, येसु जीवन का केन्द्र


वाटिकन सिटी, सोमवार 9 सितंबर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा ने कहा कि सच्ची ख्रीस्तीयता है - येसु पर ध्यान केन्द्रित करना न कि मात्र भक्ति।

येसु विश्वास के केन्द्र है और यदि हम येसु से आज्ञा ग्रहण करते है तब यह अर्थपूर्ण है। यह अर्थपूर्ण है जब हम किसी कार्य को करते हैं क्योंकि प्रभु हमसे ऐसा चाहते है। पर यदि हम ख्रीस्त के बिना ख्रीस्तीय हैं तो यह अर्थहीन है।

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन स्थित कासा सान्ता मार्था के प्रार्थनालय में अपने दैनिक यूखरिस्तीय बलिदान के समय प्रवचन दिया।

संत पापा ने कहा कि कुछ लोग ऐसे है जो नियमों को धार्मिकता का केन्द्र बना लते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो धार्मिकता को गलत तरीके से समझते हैं। वे सिर्फ भक्ति चाहते हैं या ऐसा करते हैं जो प्रचलित नहीं है पर कुछ विशेष दिखाई पड़ता है या हम कहें यह व्यक्तिगत प्रकाशना-सा लगता है।

संत पापा ने कहा, "यह अच्छा है कि आपकी भक्ति आपको येसु के पास ले आती है पर यदि आप वहीं रुक गये तो यह पूर्ण नहीं है। यह एक ऐसी भक्ति है जो बिना येसु के हो जायेगी।"

उन्होंने कहा, "इसके लिये नियम आसान है जो आपको येसु के पास लाये वही उचित है और वही उचित है जो येसु से आता है। सच्चे ख्रीस्तीय का चिह्न है ईसा के साथ ईसाई होना। इसका अर्थ है ईसा के साथ रहना, वही करना जो ईसा बतलाते हैं और जो ईसा की ओर ल चलता है।"

उन्होंने कहा, "ईसा के साथ रहता है उसमें ईसा की घोषणआ करने का साहस हो।
संत पापा ने लोगों से आग्रह किया कि वे झूठी धार्मिकता पर केन्द्रित न रहें पर सुसमाचार का प्रचार करें और उसे सदा लेकर चलें।"










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