2013-09-09 15:25:26

बुराई है - शांति एवं सार्वजनिक भलाई में अरूचि


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 सितम्बर 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 8 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित सभी विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने भक्त समुदाय को सम्बोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज के सुसमाचार पाठ में, येसु शिष्य होने की शर्तों पर ज़ोर देकर कहते हैं कि एक शिष्य को उनके प्यार से बढ़कर किसी चीज़ से अधिक लगाव नहीं रखना चाहिए तथा अपना क्रूस उठाकर उसके पीछे चलना है। बहुतों ने येसु का शिष्य होना चाहा, विशेषकर येसु द्वारा चमत्कार देखने के पश्चात्, जिन्होंने उन्हें इस्राएल के राजा मसीह प्रमाणित कर दिया था। किन्तु येसु किसी को धोखा देना नहीं चाहते हैं। वे जानते हैं कि येरुसालेम में उनपर क्या बीतेगी? पिता ने उन्हें किस प्रकार के रास्ते पर चलने के लिए बुलाया है? यह क्रूस का रास्ता है, हमारे पापों की क्षमा के लिए आत्म बलिदान का रास्ता। संत पापा ने कहा, "येसु का अनुसरण करने का अर्थ सिर्फ विजयी जूलुस में भाग लेना नहीं है। इसका वास्तविक अर्थ हैः उनके करुणामय स्नेह के सहभागी बनना, उनकी महान दया तथा क्रूस द्वारा अर्जित क्षमादान को सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बांटना। येसु के कार्य सिर्फ दया, क्षमा और प्यार के कार्य हैं। येसु अत्यन्त दयालु हैं तथा सभी लोगों के प्रति उनकी क्षमा तथा करूणा, क्रूस से आती है। परन्तु येसु यह कार्य अकेले करना नहीं चाहते हैं। वे हमें उस मिशन में सहभागी बनाना चाहते हैं जिसको पिता ने उन्हें सौंपा है।" पुनरुत्थान के पश्चात येसु अपने शिष्यों को बतलाते हैः "जैसे पिता ने मुझे भेजा है वैसे ही मैं तुम्हें भेजता हूँ... तुम जिनके पाप क्षमा करोगे उनके पाप क्षमा किये जायेंगे।" (यो.20:21-22) येसु के शिष्यों ने सब भौतिक चीजों को त्याग दिया क्योंकि उन्होंने सबसे बहुमूल्य ख़ज़ाने को पा लिया था। एक ऐसा ख़जाना जिसमें हर प्रकार की संम्पतिः पारिवारिक रिश्ते, दोस्त-मित्र, कार्य, संस्कृति एवं आर्थिक स्थिति आदि सभी अपना अर्थ एवं मूल्य प्राप्त करते हैं। एक ख्रीस्तीय इन सारी वस्तुओं का परित्याग करता तथा सुसमाचार के तर्क में सब कुछ प्राप्त करता है जो प्यार एवं सेवा का तर्क है।
इस बात को स्पष्ट करने के लिए येसु दो दृष्टांतों का प्रयोग करते हैं: पहला, मीनार का निर्माण तथा दूसरा, एक राजा जो युद्ध के लिए जाता है। दूसरे दृष्टांत में बताया गया है कि "कौन ऐसा राजा होगा, जो दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो और जो पहले बैठ कर यह विचार न करे कि जो बीस हज़ार फौज के साथ उस पर चढ़ा आ रहा है, क्या वह दस हज़ार की फौज से उसका सामना कर सकता है? यदि वह सामना नहीं कर सकता, तो जब तक दूसरा राजा दूर है, वह राजदूतों को भेज संधि के लिए निवेदन करेगा।"(लूक.14:31-32)
संत पापा ने कहा, "यहाँ येसु युद्ध के बारे बात करना नहीं चाह रहे हैं यह तो सिर्फ एक दृष्टांत है। किन्तु, इस समय जब हम शांति के लिए अत्यधिक प्रार्थना कर रहे हैं येसु के ये वचन हमें तुरन्त छू लेते हैं तथा निश्चित रुप से बताते हैं कि युद्ध है जिसके लिए हम सभी को गहन लड़ाई करना है। बुराई एवं उसके प्रलोभनों का परित्याग करने के लिए एक मज़बूत एवं साहसिक कदम उठाना है तथा अच्छाई को चुनना है। ख्रीस्त के अनुसरण हेतु मूल्य चुकाने के लिए तैयार रहना एवं उनके क्रूस को उठाना, बुराई के विरुद्ध युद्ध करना है। किन्तु उन युद्धों की कोई आवश्यकता नहीं जिनमें बुराई पर विजय पाने की शक्ति ही नहीं है? युद्ध पर युद्ध, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है, ऐसा नहीं होना चाहिए। इसमें अन्य बातें भी शामिल हैं: बुराई के विरूद्ध युद्ध का अर्थ है भ्रातृत्व के प्रति घृणा तथा उसके लिए प्रयुक्त सभी प्रकार के झूठ एवं हिंसा के सभी प्रकार का बहिष्कार करना, हथियारों के प्रसार तथा उनके अनैतिक व्यापार का परित्याग करना। सभी ओर युद्ध की आवश्यकता क्यों पड़ी है। क्या युद्ध किसी समस्या के कारण हो रहा है या क्या यह एक व्यापार है, अनैतिक रुप से युद्ध के शस्त्रों को बेचने का। संत पापा ने कहा यही बुराई है जो शांति एवं सार्वजनिक भलाई में रूचि नहीं रखती जिनके विरुद्ध हम सभी को एकजुट तथा सुसंगठित होकर लड़ना है।
संत पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम माता मरिया के जन्म दिवस का महापर्व मना रहे हैं जो पूर्वी कलीसियाओं में अधिक लोक प्रिय है। येसु सूर्य हैं तथा माता मरिया प्रातः काल जो सूर्य उगने का संदेश देता है। बीती रात हमने उनकी मध्यस्थता द्वारा विश्व शांति हेतु प्रार्थना जागरण किया, ख़ासकर सीरिया एवं मध्यपूर्व के लिए। आइये हम पुनः शांति की महा रानी माँ मरिया का आह्वान करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा देवदूत प्रार्थना के उपरांत कहा,

"मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने कल रात विभिन्न तरह से प्रार्थना जागरण में भाग लिया तथा उपवास किया। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने त्याग चढ़ाने में भाग लिया। मैं सभी अधिकारियों को धन्यवाद देता हूँ, साथ ही साथ अन्य ख्रीस्तीय समुदाय के विश्वासियों, अन्य धर्मों तथा भली इच्छा रखने वाले सभी लोगों को जिन्होंने इस समारोह में प्रार्थना, उपवास एवं चिंतन के द्वारा भाग लिया है।
इस समर्पण को हम जारी रखें, हम शांति के लिए प्रार्थना एवं कार्य करते हुए आगे बढ़ें। सीरिया में हिंसा एवं विनाश के शीघ्र अंत के लिए कृपया प्रार्थना करना जारी रखें तथा भाई-भाई के बीच इस युद्ध के समाधान के लिए नए सिरे से प्रतिबद्ध होकर कार्य करें। हम मध्य पूर्व के अन्य राष्ट्रों के लिए भी प्रार्थना करें, विशेषकर लेबनान के लिए जिससे वह वांछित स्थायित्व प्राप्त कर सके तथा सहअस्तित्व का आदर्श बना रहे। हम ईराक के लिए प्रार्थना करें ताकि सांप्रदायिक हिंसा समाप्त हो तथा समझौता के लिए रास्ता खुले। इस्राएल एवं फिलिस्तीन की शांति प्रक्रिया के लिए प्रार्थना करें ताकि निश्चय एवं साहस के साथ वह आगे बढ़े। हम मिश्र के लिए भी प्रार्थना करते हैं जिससे कि सभी मिश्री; मुस्लमान एवं ख्रीस्तीय, समस्त जनता के कल्याण के लिए एक साथ समाज के निर्माण के प्रति समर्पित हों।
शांति की तलाश लम्बी है जिसके लिए धैर्य एवं दृढ़ता की आवश्यकता है, प्रार्थना में हम आगे बढ़ते रहें।
हम प्रसन्नता के साथ ख्रीस्त विश्वासी धन्य मरिया बोलोनेसी की याद करते हैं जिनका धन्य घोषणा समारोह कल रॉविगो में सम्पन्न हुआ। उनका जन्म सन् 1924 ई. में तथा मृत्यु सन् 1980 ई. में हुई। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों की सेवा में व्यतीत किया विशेषकर, गरीब एवं बीमार की सेवा में तथा ख्रीस्त के दुखभोग में सहभागी होने के लिए घोर पीड़ा सही। आइये, उनके द्वारा दिये गये सुसमाचार के साक्ष्य के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद दें।
अंत में संत पापा ने देश विदेश से आये सभी तीर्थ यात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया तथा उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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