2013-09-06 14:03:58

प्रेरणाहीन प्रार्थना, प्रार्थना नहीं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 6 सितंबर, 2013 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने वृहस्पतिवार 5 सितंबर को सान्ता मार्था निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान में सुसमाचार पर चिन्तन प्रस्तुत करते हुए कहा कि येसु प्रत्येक ख्रीस्तीय को स्वयं को प्रकट करते हैं और उनके मिशन को पूरा करने की शक्ति भी प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि येसु हमारे जीवन में आते हैं हमसे ऐसी प्रतिज्ञा करते हैं जो हमें आंतरिक सांत्वना प्रदान करता, हमें उदार बनाता और मिशन पूर्ण करने की अपील करता है।
संत पापा ने कहा कि मछलियाँ पकड़ने के बाद आश्चर्य से भरे पेत्रुस, जेम्स और जोन ने उनका अनुसरण किया इसी बात का सटीक उदाहरण है। उन्होंने उन्हें एक प्रतिज्ञा की थी कि वे उन्हें मनुष्यों के मछुए बना देंगे और तब उन्हें अनुसरण करने को आमंत्रित किया। और बस शिष्यों ने ऐसा ही किया।
संत पापा ने कहा, "येसु मिशन को बिना स्पष्ट किये अनुसरण करने का आमंत्रण कदापि नहीं देते । ऐसा कभी नहीं होता कि वे हमें एक रास्ता दिखा दें जो उनके साथ-साथ चलने का हो। जब भी हम येसु का अनुसरण करते हैं तो उसमें हमारे लिये कुछ निर्देश होते हैं और वही है हमारा मिशन।
उन्होंने कहा कि तीन बातें, प्रतिज्ञा, निवेदन और मिशन प्रार्थना से जुड़े हुए है। हमारी प्रार्थना येसु के शब्दों और विश्वास के बिना और बिना प्रतिज्ञा के अच्छी प्रार्थना नहीं हो सकती है। ऐसी प्रार्थना जहाँ येसु हमें कुछ करने के लिये प्रेरित न करें प्रार्थना नहीं है।








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