2013-08-26 15:28:42

विश्वास के द्वार से पार होकर जीवन में प्रवेश करने के लिए सभी निमंत्रित हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 अगस्त 2013 (सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 25 अगस्त को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना से पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित कर कहा,
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज का सुसमाचार पाठ हमें ‘मुक्ति’ विषय पर चिंतन हेतु निमंत्रण देता है। येसु गलीलिया से येरुसालेम की और जा रहे हैं तथा रास्ते में सुसमाचार प्रचारक संत लूकस के अनुसार "किसी ने आकर उनसे पूछा, प्रभु, क्या थोड़े ही लोग मुक्ति पाते हैं?"(लूक.13:23)
येसु ने इसका सीधा उत्तर नहीं दिया क्योंकि कितने लोग मुक्ति प्राप्त करेंगे जानने की अपेक्षा मुक्ति प्राप्त करने के मार्ग को जानना अधिक महत्वपूर्ण है। येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "सँकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ प्रयत्न करने पर भी बहुत-से लोग प्रवेश नहीं कर पायेंगे।"(पद.24) संत पापा ने कहा येसु यहाँ क्या कहना चाहते हैं? वह कौन सा द्वार है जिसमें से हम प्रवेश करते हैं? येसु क्यों सँकरे द्वार की बात कर रहे हैं?"
उन्होंने कहा सुसमाचार में द्वार की छवि को कई बार पाते हैं जो घर की याद दिलाती है जहाँ हम सुरक्षा, प्यार एवं सौहार्द महसूस करते हैं। येसु हमें बतलाते हैं कि एक द्वार है जहाँ से हम ईश्वर के घर में प्रवेश कर सकते हैं। ईश्वर के घर के सुख एवं उनके साहचर्य के भागीदार हो सकते हैं। उस घर का द्वार स्वयं येसु हैं। (यो.10:9) मुक्ति का प्रवेश द्वार। वे हमें पिता के पास ले चलते हैं। येसु एक ऐसे द्वार हैं जो कभी बंद नहीं रहता तथा बिना किसी भेदभाव, अपवाद एवं विशेषाधिकार के, सभी के लिए हमेशा खुला है क्योंकि आप जानते हैं कि येसु किसी को पृथक नहीं करते, किन्तु आप में से कुछ कह सकते हैं, "पिता मैं निश्चय ही अलग कर दिया गया हूँ क्योंकि मैं एक घोर पापी हूँ: मैंने अपने जीवन में कई ग़लत कार्य किये हैं।"
संत पापा ने कहा, "आप अलग नहीं किये गये हैं, निश्चय ही आप येसु के कृपापात्र हैं क्योंकि येसु हमेशा पापियों को चुनते हैं उन्हें क्षमा करने एवं प्यार करने के लिए। येसु आपका आलिंगन करने और आपको क्षमा देने के लिए इंतजार कर रहे हैं। नहीं डरें क्योंकि वे आपका इंतजार कर रहे हैं। प्रसन्नचित्त होकर उनके द्वार पर आयें। विश्वास के इस द्वार से पार होकर उनके जीवन में प्रवेश करने के लिए सभी निमंत्रित हैं। हम ख़ुद के जीवन में प्रवेश करें क्योंकि वे हमारे जीवन को अनन्त जीवन के दान से बदल देते एवं नवीन बना देते हैं।
हम कई दरवाज़ों से पार होते हैं जो सुख की प्रतिज्ञा कर हमें निमंत्रण देते हैं किन्तु बाद में हमें एहसास होता है कि यह क्षणिक खुशी है जिसका अंत अपने आप हो जाता है और जिसका कोई भविष्य नहीं है। संत पापा ने प्रश्न किया, "हम किस द्वार से पार होना चाहते हैं? अपने जीवन के द्वार से किसे प्रवेश करने देना चाहते हैं?" उन्होंने बल देकर कहा कि हमें विश्वास के द्वार से ख्रीस्त में प्रवेश करने के लिए नहीं डरना है। उन्हें अधिक से अधिक हमारे जीवन में प्रवेश करने देना है जिससे कि हम अपने स्वार्थ तथा पड़ोसी के प्रति तटस्थ एवं बंद जीवन से बाहर आ सकें। येसु क्यों हमारे जीवन को एक ऐसे दीपक से प्रकाशित करना चाहते हैं जो कभी नहीं बुझता? क्योंकि येसु कोई पटाखा या बिजली का प्रकाश नहीं हैं। वह एक शांत प्रकाश हैं जो हमेशा जलता है तथा शांति प्रदान करता है। येसु के द्वार से प्रवेश करने पर हम ऐसे प्रकाश को पाते हैं।
येसु का द्वार निश्चय ही सँकरा है इसलिए नहीं कि यह कोई यंत्रणा का कमरा है। किन्तु, इसलिए कि वह हमारे हृदय को खोलने के लिए कहता है। द्वार खोलने का अर्थ है अपने पापों को जानना, अपनी मुक्ति के लिए उनसे क्षमा मांगना, उनके प्यार एवं दया को दीनतापूर्वक स्वीकार करना तथा उनके द्वारा नवीकृत किया जाना। सुसमाचार में येसु कहते हैं कि ख्रीस्तीय होना एक मोहर(लेबल) नहीं है। मैं आपसे पूछता हूँ कि क्या आप सच्चे ख्रीस्तीय हैं या ख्रीस्तीय होने का मोहर मात्र? अपने अंदर ही अंदर जवाब दें: अख्रीस्तीय, मोहर ख्रीस्तीय या सच्चे हृदय से ख्रीस्तीय।
संत पापा ने कहा ख्रीस्तीय होने का अर्थ है प्रार्थना द्वारा विश्वास को जीना एवं साक्ष्य देना, उदारता के कार्य करना तथा भले कार्य द्वारा न्याय को प्रोत्साहन देना। सँकरा द्वार जो स्वयं येसु हैं उनसे होकर हमारे सम्पूर्ण जीवन को पार होना है।
हम स्वर्ग के द्वार माता मरिया को पुकारें कि वे विश्वास के द्वार ख्रीस्त से पार होने में हमारी सहायता करें। उनके पुत्र ख्रीस्त हमारे जीवन को उसी तरह बदल दें जैसा कि माता मरियम के जीवन को उन्होंने सभी के लिए सुसमाचार की खुशी में बदल दिया है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदुपरांत संत पापा ने देश-विदेश से उपस्थित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्हें अवकाश के पश्चात् कार्यों पर जाने हेतु शुभकामनाएँ एवं शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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