2013-08-24 16:23:10

बपतिस्मा संस्कार के धर्मविधि पाठ में संशोधन


वाटिकन सिटी, शनिवार, 24 अगस्त 2013 (सी एन एस): काथलिक कलीसिया में, बपतिस्मा संस्कार द्वारा व्यक्ति ईश्वर की कलीसिया का सदस्य बनता है न कि सिर्फ स्थानीय कलीसिया का। इस पर बल देने हेतु वाटिकन ने बपतिस्मा संस्कार के धर्मविधि पाठ में बदलाव किया है।
बदलाव के तहत धर्मविधि के आरम्भ में "ख्रीस्तीय समुदाय बड़ी खुशी से आपका स्वागत करता है" के स्थान पर "ईश्वर की कलीसिया बड़ी खुशी से आपका स्वागत करती है" शब्दों को उच्चार कर पुरोहित बपतिस्मा संस्कार का प्रतिष्ठान करेंगे।
दिव्य भक्ति एवं संस्कार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति द्वारा जारी एक आज्ञप्ति में कहा गया है कि बपतिस्मा संस्कार विश्वास का संस्कार है जिसमें विश्वासीगण ख्रीस्त की कलीसिया में सम्मिलित किये जाते हैं। बपतिस्मा संस्कार संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी एवं धर्माध्यक्षीय मंडली की ख्रीस्त के साथ संयुक्ति से संचालित काथलिक कलीसिया में ही पाया जाता है।
आज्ञप्ति 22 फरवरी को, समिति के न्यूज़लेटर "नोतीत्सीय" के नवीनतम अंक में प्रकाशित की गई थी।
दिव्य भक्ति एवं संस्कार संबंधी परम धर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल अंतोनियो कनिज़ारेस एल लोवेरा एवं सचिव महाधर्माध्यक्ष आर्थर रोच ने बतलाया कि संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने 28 जनवरी को परिवर्तित पाठ पर तथा लैटिन एवं सभी स्थानीय भाषाओं में इसके अनुवाद पर हस्ताक्षर किये थे।
धर्मशिक्षा के अनुसार बपतिस्मा संस्कार के द्वारा विश्वासी न केवल स्थानीय कलीसिया या पल्ली का सदस्य बनता है किन्तु विश्वव्यापी कलीसिया का अंग बन जाता है धर्मविधि पाठ में संशोधन द्वारा इस काथलिक सिद्धांत को बल प्राप्त होगा। शेष बप्तिस्मा धर्मविधि पाठ ज्यों का त्यों रखा गया है।








All the contents on this site are copyrighted ©.