वाटिकन सिटीः दूसरों को जानने एवं उनकी संस्कृति को समझने से हम होते हैं परिपक्व, सन्त
पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 22 अगस्त सन् 2013 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने बुधवार को जापान के विद्यार्थियों
से कहा कि दूसरों को जानने तथा उनकी संस्कृति को जानने से हम परिपक्व होते हैं। बुधवार,
21 अगस्त को, वाटिकन में, टोकियो के सैबू गाओकेन बूनरी विद्यालय के 215 छात्रों एवं उनके
प्राध्यापकों ने सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर
पर सन्त पापा ने कहा, "यदि व्यक्ति स्वतः को दूसरों से अलग कर लेता है तो वह अपने आप
में सिमट कर रह जाता है, वह सांस्कृतिक तौर पर विकास नही कर पाता; इसके विपरीत यदि वह
अन्यों से एवं भिन्न संस्कृति और धर्मों के लोगों से मिलता, उनसे बातचीत करता है तो वह
अपने आप से बाहर निकल कर उदार बनता तथा परिपक्वता प्राप्त करता है।" लोगों के बीच
वार्ताओं को अनिवार्य निरूपित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "परिपक्वता के लिये वार्ता
बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अपने से भिन्न संस्कृति एवं भिन्न धर्म के व्यक्ति के साथ
वार्ता द्वारा ही हमारा विकास होता तथा हम परिपक्व बनते हैं।" हालांकि, उन्होंने
चेतावनी दी कि वार्ताओं को अन्यों के सम्मान पर आधारित होना चाहिये अन्यथा वार्ता से
क्रोध एवं झगड़ा भड़क सकता है। उन्होंने कहा कि वार्ताओं का उद्देश्य आपसी सम्मान होना
चाहिये झगड़ा नहीं। सन्त पापा ने कहा कि वार्ता का सबसे महान गुण है विनम्रता जिसमें
सामनेवाले की बात सुनी जाती और उसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दी जाती है। उन्होंने कहा
कि इस प्रकार की वार्ता शांति निर्माण में सक्षम होती है।