लाहौरः अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिये मनाया गया शोक दिवस
लाहौर, 20 अगस्त सन् 2013 (ऊका समाचार): पाकिस्तान के लाहौर शहर में 15 अगस्त को अल्पसंख्यकों
के अधिकारों के सम्मान की मांग करते हुए लगभग 300 युवाओं, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं
एवं मानवाधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने लाहौर प्रेस क्लब के समक्ष प्रदर्शन किया।
इस्लामाबाद की सरकार से प्रदर्शनकारी नागरिकों ने अल्पसंख्यकों को द्वितीय श्रेणी
के नागरिक बतानेवाले पाकिस्तान के संविधान में संशोधन और सुधार तथा ईशनिन्दा विरोधी कानून
को रद्द किया जाने की मांग की। ह्यूमन राईट्स फोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नवीन वॉल्टर
ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित कर कहा, "आज पाकिस्तान के समस्त अल्पसंख्यकों का शोक
दिवस है इसलिये कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों एवं उनकी स्वतंत्रता
को आसानी से निशाना बनाया जाता है।" अल्पसंख्यकों के लिये सुरक्षा के अभाव की ओर भी उन्होंने
ध्यान आकर्षित कराया तथा जोसफ कॉलोनी में लगाई आग का स्मरण किया। इसी प्रकार उन्होंने
कहा कि ईश निन्दा विरोधी कानून के तहत अल्पसंख्यकों को उत्पीड़ित किया जाता है जैसा कि
रिमशा मसीह के मामले में देखा गया। अल्पसंख्यकों को वैधानिक मदद प्रदान करनेवाले
"क्लास" संगठन के जोसफ फ्राँसिस ने सन् 1973 के पाकिस्तानी संविधान में संशोधन की मांग
की जो देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को द्वितीय श्रेणी के नागरिक बताता है। प्रदर्शनकर्त्ताओं
ने सरकार के समक्ष नौ सुझाव रखे। इन सुझावों में ईशनिन्दा-विरोधी कानून का पुनरावलोकन
तथा इस्लाम को राजकीय धर्म घोषित करनेवाले संविधान के दूसरे अनुच्छेद एवं राष्ट्रपति
का इस्लाम धर्मानुयायी होना अनिवार्य बतानेवाले 41 वें अनुच्छेद का रद्द किया जाना शामिल
हैं।